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पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/३६२

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भारतेंदु-नाटकावली

ललिता-कहाँ तुम्हारो देस है?

जोगिन-प्रेम नगर पिय गॉव।

ललिता-कहा गुरू कहि बोलहीं?

जोगिन-प्रेमी मेरो नॉव॥

ललिता-जोग लियो केहि कारनैं?

जोगिन-अपने पिय के काज।

ललिता-मंत्र कौन?

जोगिन-पियनाम इक,

ललिता-कहा तज्यो?

जोगिन-जग-लाज॥

ललिता-आसन कित?

जोगिन-जितही रमे,

ललिता-पंथ कौन?

जोगिन-अनुराग।

ललिता-साधन कौन?

जोगिन-पिया-मिलन,

ललिता-गादी कौन?

जोगिन-सुहाग॥

नैन कहें गुरु मन दियो बिरह सिद्धि उपदेस।
तब सों सब कुछ छोड़ि हम फिरत देस-परदेस॥