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भारतेंदु-नाटकावली
मलय०---( आगे बढ़कर ) मैं आप ही आपसे मिलने को आया हूँ।
राक्षस---( आसन से उठकर ) अरे कुमार आप ही आ गए! आइए, इस आसन पर बैठिए।
मलय०---मैं बैठता हूँ आप बिराजिए।
( दोनों बैठते हैं )
मलय०---इस समय सिर की पीड़ा कैसी है?
राक्षस---जब तक कुमार के बदले महाराज कहकर आपको नहीं पुकार सकते तब तक यह पीड़ा कैसे छूटेगी।
मलय०---आपने जो प्रतिज्ञा की है तो सब कुछ होईगा। परंतु सब सेना सामंत के होते भी अब आप किस बात का आसरा देखते हैं।
राक्षस---किसी बात का नहीं, अब चढाई कीजिए।
मलय०---अमात्य! क्या इस समय शत्रु किसी संकट में है?
राक्षस---बड़े।
मलय०---किस संकट में?
राक्षस---मंत्री-संकट में।
मलय०---मंत्री-संकट तो कोई संकट नहीं है।
राक्षस---और किसी राजा को न हो तो न हो, चंद्रगुप्त को तो अवश्य है।