पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( ५२ )

सहायक हैं। यदि गंगा न होती तो सारी नदियों का जल समुद्र में कैसे पहुँचता। वास्तव में भागीरथी के आख्यान में कितना ऐतिहासिक तथ्य है, यह विचारणीय है। इक्ष्वाकु-वंशीय राजों ने इस खोज में विशेष भाग लिया था और अनेक पीढ़ियों के बीतने पर अंत में भगीरथ का गंगासागर का दर्शन हुआ होगा। हिमालय के उच्चतम शिखर गौरीशंकर का एक नाम माउंट एवरेस्ट है। क्या एवरेस्ट साहब के पहिले उस श्रृंग का नाम देना भी देश-काल-दोष माना जायगा? यह ऐसे ही समालोचक बतला सकेंगे।

स्वप्न में दान देने की कथा भारतेन्दुजी की निज की उपज है। चंडकौशिक तथा सत्यहरिश्चन्द्रम् में प्रत्यक्ष ही दान देने की कथा है। सत्यहरिश्चन्द्रम् में रामचंद्र ने एक हरिणी को मार डालने के कारण सारा राज्य कुलपति को दिला दिया और उनकी कन्या वंचना को न रोने के लिए लक्ष सुवर्ण दिलाया। भारतभूमि में उत्पन्न हुए मनुष्यों में प्रायः यही धारणा रहती थी कि यह संसार स्वप्न हे। जिस प्रकार रात्रि व्यतीत होते ही स्वप्न स्वप्न मात्र रह जाता है, उसी प्रकार मृत्यु होते ही संसार भी स्वप्नमात्र रह जायगा। भारतेन्दुजी ने ऐसी शंका उठने की शंका करके ही यह बात महारानी शैव्या द्वारा कहला डाली और उसका भारतीय विचारों के अनुकूल समाधान करा दिया। साथ ही कुछ ही आगे उसी स्वप्न को सशरीर विश्वामित्र के रूप में लाकर खड़ा कर दिया कि उसे पाठकगण 'स्वप्नमात्र' न समझें। ऐसी अवस्था में यह सत्य विचार एक स्वप्न मात्र नहीं रह जाता और राजा हरिश्चंद्र का स्वप्न के दान को सत्य मानना उनके