पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६१८

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छठा दृश्य
स्थान––अमीर का खेमा
(मसनद पर अमीर अबदुश्शरीफखाँ सूर बैठा है,
इधर-उधर मुसलमान लोग हथियार बाँधे मोछ
पर ताव देते बड़ी शान से बैठे हैं)

अमीर––अलहम्‌दुलिल्लाह! इस कम्बख्त काफिर को तो किसी तरह गिरफ्तार किया। अब बाकी फौज भी फतह हो जायगी।

एक सर्दार––ऐ हुजूर! जब राजा ही कैद हो गया तो फौज क्या चीज है। खुदा और रसूल के हुक्म से इसलाम की हर जगह फतह है। हिदू हैं क्या चीज। एक तो खुदा की मार दूसरे बेवकूफ आनन्-फानन् में सब जहन्नुम रसीद होंगे।

दू॰ सर्दार––खुदावंद! इसलाम के आफताब के आगे कुफ्र की तारीकी कभी ठहर सकती है? हुजूर अच्छी तरह से यकीन रक्खें कि एक दिन ऐसा आवेगा जब तमाम दुनिया में ईमान का जिल्वा होगा। कुफ्फार सब दाखिले-दोजख होंगे और पयगम्बरे आखिरुल् जमाँ सल्लल्लाह अल्लेहुसल्लम का दीन तमाम रूए जमीन पर फैल जायगा।

अमीर––आमीं आमीं।