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भारतेंदु-नाटकावली


काजी––गिरकर न उठे काफिरे बदकार जमीं से, ऐसे हुए गारत। आमीं कहो––।

सब––आमीं।

काजी––मेरे महबूब खुदाया।

सब––अलहम्द् उलिल्लाह।

(जवनिका गिरती है)