यह पृष्ठ प्रमाणित है।
५२०
भारतेंदु-नाटकावली
काजी––गिरकर न उठे काफिरे बदकार जमीं से, ऐसे हुए गारत। आमीं कहो––।
सब––आमीं।
काजी––मेरे महबूब खुदाया।
सब––अलहम्द् उलिल्लाह।
(जवनिका गिरती है)
काजी––गिरकर न उठे काफिरे बदकार जमीं से, ऐसे हुए गारत। आमीं कहो––।
सब––आमीं।
काजी––मेरे महबूब खुदाया।
सब––अलहम्द् उलिल्लाह।
(जवनिका गिरती है)