पृष्ठ:भारतेंदु नाटकावली.djvu/६२४

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आठवाँ दृश्य
स्थान––मैदान, वृक्ष
(एक पागल आता है)

पागल––मार मार मार––काट काट काट––ले ले ले––ईबी––सीबी––बीबी––तुरक तुरक तुरक––अरे आया आया आया––भागो भागो भागो। (दौड़ता है) मार मार मार––और मार दे मार––जाय न जाय न––दुष्ट चांडाल गोभक्षी जवन––अरे हाँ रे जवन लाल डाढ़ी का जवन––बिना चोटी का जवन––हमारा सत्यानाश कर डाला। हमारा हमारा हमारा। इसी ने इसी ने––लेना, जाने न पावे। दुष्ट म्लेच्छ––हुँ! हम को राजा बनावेगा। छत्र चँवर मुरछल सिंहासन सब––पर जवन का दिया––मार मार मार––शस्त्र न हो तो मंत्र से मार। मार मार मार। ह्रां ह्रीं ह्रूं फट चट पट––जवन पट––चट––छट पट अ ई ऊँ आकास बाँध पाताल––चोटी कटा निकाल। फः––हां हीं हौं––जवन जवन मारय मारय उच्चाटय उच्चाटय...बेधय बेधय...नाशय नाशय...फाँसय फाँसय––त्रासय त्रासय...स्वाहा फूः सब जवन स्वाहा फूः अब भी नहीं गया? मार मार मार। हमारा देश––हम राजा हम रानी। हम