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भारतेंदु-नाटकावली

लोग दौड़कर बाहर से बनिये को पकड़ लाते हैं) क्यों बे बनिये! इसकी लरकी, नहीं बरकी क्यो दबकर मर गई?

मंत्री––बरकी नहीं महाराज, बकरी।

राजा––हॉ हॉ, बकरी क्यो मर गई––बोल, नहीं अभी फॉसी देता हूँ।

कल्लू––महाराज! मेरा कुछ दोष नहीं। कारीगर ने ऐसी दीवार बनाई कि गिर पड़ी।

राजा––अच्छा, इस मल्लू को छोड़ दो, कारीगर को पकड़ लायो। (कल्लू जाता है, लोग कारीगर को पकड़कर लाते है) क्यो बे कारीगर! इसकी बकरी किस तरह मर गई?

कारीगर––महाराज, मेरा कुछ कसूर नहीं, चूनेवाले ने ऐसा बोदा चूना बनाया कि दीवार गिर पड़ी।

राजा––अच्छा, इस कारीगर को बुलाओ, नहीं नहीं निकालो, उस चूनेवाले को बुलायो। (कारीगर निकाला जाता है, चूनेवाला पकड़कर लाया जाता है) क्यों बे खैर-सुपाड़ी चूनेवाले! इसकी कुबरी कैसे मर गई?

चूनेवाला––महाराज! मेरा कुछ दोष नहीं; भिश्ती ने चूने में पानी ढेर दे दिया, इसी से चूना कमजोर हो गया होगा।