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भारतेंदु-नाटकवाली

आते आते तो असुध हो कर गिरही पड़ा। फिर मुझे कुछ ज्ञान नहीं, जब ज्ञान हुआ तो तुम्हें बैठे पाया---उह! बड़ी ज्वाला है, शरीर झुका जाता है---अब चला---( मूर्छित हो जाता है )

( नेपथ्य में गान)

यमदूत हैं हम भूत हैं मजबूत हैं रन में।
सोने के घर को ख़ाक हमीं करते हैं छन में॥

सावित्री---हाय! क्या यमदूत आ गये? क्या अब मुझ से प्राणनाथ का वियोग हो हीगा? कभी नहीं--कभी नहीं--यदि हमारा सतीत्व सत्य है तो देखते हैं यमदूतों की क्या सामर्थ्य है जो प्राणनाथ के अंग को छु भी सकें।

( अधकार हो जाता है और यमदूत आते हैं )

यमदूतगण---( गाते हैं और नाचते हैं )

यमदूत हैं हम भूत हैं मज़बूत हैं रन में।
सेाने के घर को ख़ाक हमीं करते हैं छन में॥
हो बादशाह या कि भिखारी हो कोई हो।
ज्ञानी हो या कि पापी हो जो चाहे जोई हो।।
इक दिन सभी हमारे ही चंगुल में फँसैंगे।
उस दिन किसी फरेब से हमसे न बचैंगे।।
हम मुश्क बाँध बाँध के सबको ले जायँगे।
हम कूद कूद खूब ही डंडे लगायँगे।।