पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०१

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के बदले । बदले । बदले । 1970 मिलो न तुम या कत्ल करो मरने से नहीं हम डरते हैं। भूल-भुलैयाँ से उलझे चिकने महीन चमकीले हैं मिलेंगे तुमको. बाद मरने के कौल यह करते हैं। जुल्फ के फदे, तुम्हारे सबसे यार निराले हैं !६।८५ 'हरीचंद' दो दिन के लिये घबरा के न दिल को डाहेंगे। आँखों में लाल डोरै शराब सहेंगे सब कुछ मुहब्बत दम तक यार निबाहेंगे।४।८४ हैं जुल्फ छुटी रुख पर निकाब के बदले । नित नया जुल्म करना सवाब के बदले । बाल या दिल के बबाल दिलबर ने मुखड़े पर डाले हैं। झिड़की देना हर दम जवाब के बदले। जुल्फ के फंदे तुम्हारे सबसे यार निराले हैं 1 त्योरी में बल बालों के ताव के बदले । छल्लेदार छलीले लम्बे लम्बे यह छहराते हैं। खून में रंगना कपड़ा शहाव के बदले । वल खा खा कर, फंद में अपने दिल को फंसाते हैं । सब ढंग आज-कल हैं जनाब के बदले । चिलकदार चुनवारे गिडुरी से होकर रह जाते हैं। हिल हिल करके कभी यह अपनी तरफ बुलाते हैं । हैं जुल्म छुटी रुस पर निकाब के बदले ।१ पेचदार खम खाये उलझे सुलझे चूंघरवाले हैं। पीते हैं जिगर का खून आब के बदले । खाते हैं सदा हम गम कबाब के बदले । जुल्फ के फंदे तुम्हारे सबसे यार निराले हैं । गुलाब खुशबू तेरी सूची के कहूँ इश्क-पेचा आशिक को पेच में भी यह लाते हैं । लेते हैं नाम तेरा किताब के बदले । फाँसी भी हैं, मुसाफिर को बेतरह फंसाते हैं। तब रूपोशी यह किस हिसाब के बदले। जाल हैं यह जंजाल से सबको जाल में कर जाते हैं। है जुल्फ छुटी रुख पर निकाब के बदले ।२ जाद यह, गिरह हैं दिलको अजब भुलाते हैं । काले काले गजब निकाले पाले क्या यह काले हैं। ह्या सदा जईफी है शबाब के बदले । मस्तों से मिले बस शेखों शाब के बदले । जुल्फ के फंदे तुम्हारे सबसे यार निराले हैं ।२ रातों जो जागते रहे देख इनको तलवार ने सम दम म्यान में ख्वाब के बदले। मुँह को छिपा दिया । नागिन जिस पर अब हैं सहाब के बदले । मुंह तेरा देखा भौरों ने भी न इन सा हो के गूंजना शुरू किया । माहताब के हजार सिर बुलबुल ने पटका हुई न ऐसी सांवलिया। जुल्म छूटीं रुख पर निकाब के बदले ।३ सिवार ने भी शर्म से पानी में मुंह डुबा लिया । दिन कभी न इस खान खराब के बदले। मुश्क से खुशबू में रेशम से नमक में ये चौकाले हैं। मरना बेहतर इस इजतिराब के बदले । हो 'हरीचंद' पर खुश अताब के बदले । जुल्फ के फंदे तुम्हारे सबसे यार निराले हैं।३ कर अब तो बंसी हैं दिल के शिकार को लालच देके फंसाने के। अज़ाब के बदले । क्यों नए चोचले हैं हिजाब के बदले । छींके हैं यह, लटकते दोनों दिल लटकाने के। हैं जुल्फ छुटी रुख पर निकाब के बदले ।४।८६ आँकुस की है नोक जिगर से खींच के दिल को लाने के। जंजीरों से यह बढ़ कर दिल को कैद कर जाने के। (सपने में बनाई हुई) दिल के दुखाने को बीच के डंक से भी जहरीले हैं। मोहिं छोड़ि प्रान-पिय कहूँ अनत अनुरागे। जुल्फ के फंदे तुम्हारे सबसे यार निराले हैं।४ अब उन बिनु छिन छिन प्रान दहन दुख लागे । तुम्हें नूर की शमा कहूँ तो धुआँ इन्हें कहना है बजा । रहे एक दिन वे जो हरि ही के सँग जाते रुखसारों पर य: दोनों चवर ढला करते हैं सदा । वृन्दाबन कुंजन रमत फिरत मदमाते। यह वह उक्दा है जो किसी से अब तक प्यारे नहीं खुला। दिन रैन श्याम सुख मेरे ही सँग पाते । कहूँ मुअम्मा. तो इसमें नहीं बाल भर फर्क जरा । मुझे देखे बिन इक छन प्यारे अकुलाते । दिल के पहुंचने को गालों तक कमंद दोनों डाले हैं । सोइ गोपीपति कुबरी के रस पागे। जुल्फ के फंदे तुम्हारे सबसे यार निराले हैं 1५ अब उन बिनु छिन छिन प्रान दहन दुख लागे ।१ इनमें जो आकर फंसा वह फिर न उन भर कभी छुटा। कहाँ गई श्यामा की वे मनहरनी बातें। बला हैं बस ये हमेशा इनसे बचाये दिलको ख़ुदा । वह हैमि हँसि कंठ-लगावनि करि रस-घातें । जंत्र मंत्र कुछ लगा न उसको जिसको इन साँपों ने डंसा। वह जमुना-तट नव कुंज कुंज द्रुम पाते । 'हरीचंद' के, जुल्फ में दिल अब तो बेतरह फैसा । सपने सी भई अब वे बिहरन की रातें। प्रम तरंग ६१ रहम