पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०४९

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लमहः१ के जिसमें कि दुनिया छोड़ी है इस कानून से मुस्तसना है। दफ:(११) कोई शख्स जो अपने जोरू को तिलाक दे, वह बाद उस लमह : के जब कि उसन अपना औरत को तिलाक दिया है उस लहजः के पेश्तर तक जबकि वह दूसरी औरत से सरोकार कायम कर इस कानून से मुस्तसना है। पाँचवाँ बाव इमदाद जुर्म दफ :(१२) कोई शौहर जो कि दूसरे शौहर को किसी औरत के बरखिलाफ बरगलाएगा तो यह समझा जायगा कि उसने जुर्म करने में इमदाद की । दफ :(१३) जिस वक्त कोई शौहर किसी दूसरे शौहर के जुर्म करने के वक्त मौजूद रहे और उसको उस जुर्म से न बाज रक्खें तो वह भी जुर्म की इमदाद करनेवाला समझा जायगा । मुस्तसनियात अलिफ- कोई औरत व मर्द जिन की शादी नहीं हुई है इमदाद करने के जुर्म से मुस्तसना है। बे-कोई शख्स जो बजोर बदमाशी या दौलत या और किसी सबब से जुर्म करद : शौहर की औरत के अखतियार के बाहर है वह इस कानून से मुस्तसना है । जीम - मगर बगैर शादी किए हुए भो वह लोग जो किसी औरत के तहत हकूमत में हैं मुस्तसना न समझे जायगे। तमसीलात अलिफ - जैद का बकर नाम का एक भतीजा है जिस की शादी नहीं हुई है, जैद बकर के बहकाने से किसी मेल : में गया और वहाँ रात को देर तक रहा पस जैद मुजरिम हुआ, मगर बकर जो कि दूसरे घर में रहता है और औरत की हकूमत से बाहर है इमदाद जुर्मकी तुहमत उस पर नहीं हो सकती । बे-खालिद एक नव्बाब है जिस के सबब से अमरू की गुजर औकात होती है, खालिद ने किसी शब मुहफिल में अमरू को अपने साथ रहने पर मजबूर किया मगर चूँकि वह दौलतमन्द है इस वास्ते इमदाद जुर्म के इत्तिहाम से मुस्तसना है। जीम - जैद बकर का छोटा माई है और अपने भावज की पकाई हुई रोटी खाता है । अगर जैद व बकर दोनों किसी शब को देर तक बाहर रहे तो जैद इमदाद जुर्म करने से सजायाब हो सक्ता है। दफ :(१४) इमदाद जुर्म करने वाले मुजरिमों को सजा उन की अदालत में होगी अगर वे असल मुजरिम की अदालत के हद अखतियार' के बाहर हैं। तमसील अलिफ - जैद असल मुजरिम है और बकर उसका मददगार है मगर दोनों की शादी हो चुकी है तो जैद की सजा उसकी जोरू करेगी और बकर की सज़ा जैद की जोरू के बहकाने से बकर की जोरू करेगी। दफ :(१५) जुर्म के इमदाद करने वालों की सजा ब नजर तम्बीह१० सिर्फ सर्सरी तौर से काफी होगी १. क्षण २. समय ३. सहायता ४. बहकावेगा ५. रोके ६. कालयापन ७. दोष ८. दंडित १. अधिकार की सीमा १०. शासन की दृष्टि से कानून ताजीरात शौहर १००५