पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सर विलियत हमिल्टन खुशी की तारीफ में फरमाते है कि खुशी खुद कोई चीज़ नहीं है बल्कि आदर्न की खासियत या आदत को जब कोई रुकावट नहीं होती तो यही हालत खुशी की कहलाती है । इन आलिमों की राय पर बहस न कर के अब हम खुशी के लफ्ज को भी कुछ बयान किया चाहते हैं। खुशी एक नाम है जो आराम को याने खाहिशों के पूरे होने की और तकलीफों की हालत को कहते हैं और इस ऊपर के लफ्जी बयान से भी साबित हुआ कि खुशी एक ऐसा लफ्ज है जो हमेशा तकलीफ के मुकाबले में मुस्तअमल होता है। बहुत लोगों का ख्याल है कि खुशी से इल्म से कुछ इलाका नहीं है बल्कि वह एक खसलत जबली है जो इनसान और हैवान दोनों में बराबर होती है । मगर यह बात नहीं है क्योंकि इस किस्म की हैवानी खुशी के आलिम लोगों की सुशी से क्या फर्क है यह जिनको कुछ भी शऊर है बखूबी जान सकते हैं और इसीसे कहा जा सकता है कि मिस्ल हैवानों के जो खुशी है वह झूठी खुशी है और जो खुशी के दर्ष : से बढ़ी हुई है वह बड़ी बल्कि खुदापरस्त लोग इसी वास्ते इन दोनों खुशियों से बढ़कर के एक खुशी ऐसी मानते हैं जिसकी कोशिश में दुनियवी खुशियों को भी तर्क कर देना होता है। यह हर शख्स जानता है कि बार बार इस्तअमाल करने से कैसी भी खुशी क्यों न हो जाय : हो जायगी बल्कि ऐसी हालत में उसी खुशी का नाम बदल कर आदत है । यही सबब है कि अय्याश लोग अकसर गमगीन देखे गये हैं क्योंकि पहिले जिस खुशी को उन्होंने बड़ी कोशिश से हासिल किया था अब वह उनका रोजमर्र : हो गया और हबस कम न हुई पस जब वह रोज अपनी औकात, ताकत, इज्जत और रूपया सर्फ करते हैं मगर हज नहीं हासिल होता तो गमगीन होते हैं । इसी किस्म से खाना, पीना, नाच, रंग वगैरह की खुशी भी जल्द जाय : हो जाती है मगर हाँ शिकार वगैर : की खुशी का दर्ष : कुछ इस से बड़ा है और इसी तरह वह खुशी जो सनअत सीखने से हासिल होती है मसलन रंगराजी, इल्म मुसीकी, कारीगरी वगैरह : ऊपर बयान की हुई खुशियों से ज्याद : देरपा है क्योंकि गुंजाइश के सबब से यह खुशी जल्दी जायः नहीं होती और इसी से जल्द जाय : होने वाली खुशी के तलबगारों को अखीर में इसी खुशी से उकता कर के गोश :नशीनी की तलाश होती हैं । यही हम कह सकते हैं कि हर शख्स को अपने-२ हौसल : और हिम्मत के मुआफिक ज्याद : ज्याद खुशी मिलती है इस बयान से मेरा यह मतलब नहीं है कि बड़े मर्तब : के लोगों को गरीबों से ज्याद : सुशी होती है बरिक उन गरीबों को जो कि अपनी हालत में तो गरीब हैं मगर उन के हौसले बहुत बड़े हैं, बनिसबत अमीरों के हमेश : ज्याद : खुशी हासिल होती है। तवारीख से यह बात बखूबी साबित होती है कि बड़े बड़े फतह करने वाले पादशाह या शाहजादे बनिस्बत अवाम के हमेश : ज्याद : तर मुशीबते झेलते रहे हैं और खुशी से यहाँ तक महरूम रहे हैं कि उनमें से अक्सरों ने खुदकुशी की है और बहुतेरे घर बार छोड़कर फकीर हो गये हैं । फीजमानन शहंशाह रूस पर इसकी मिसाल बहुत ठीक घटती है । पेशक दुनिया में वह सब से बड़ा और सबसे ज्याद : खुशी से महरूम है । गरीब की एक जान हजार दुश्मन । बल्कि हमारे जनाब हाजिरीन में ज्याद: लोग ऐसे होंगे जो दर हकीकत इस वक्त हमारे जनाब मुअल्ला अल्काब गर्दू रकाब शहनशाहे रूस दाम सल्तनतहू से बहुत ज्याद : खुशी होंगे। इसी से हम कहते हैं कि खुशी से मतंब : से कुछ वास्ता नहीं खुशी एक नेअमते उजमा है जिसे हर शख्स नहीं पाता । फारसी किताबों में मशहूर किस्सा है कि एक खुदापरस्त हमेश : परमेश्वर से अपने रंजो की शिकायत किया करता था । अल्लाह तअलाने उस की यह शिकायत रफज करने को एक आईन : दिया और फरमाया कि इस आईन : में तू सब का दिल देख और जो इन्सान तुझको तेरी हालत से ज्याद : खुश मालूम हो उसका नाम बतला कि तेरी हालत वैसी ही कर दी जावे । इस शख्स ने एक एक के दिल का इम्तिहान किया और ज्यों ज्यों ज्याद : रुतवे के आदमियों का दिल देखा गया त्यों त्यों ज्याद :तर तकलीफो से घेरा हुआ पाया । यहाँ तक कि जब बादशाह के दिल के देखने की नौबत आई तब उस आईन : में सिवाय काले दागों के कुछ न बचा और उसने घबरा कर आईने को दरिया में फेक दिया और अपनी असली हालत पर ख़ुदा का शुक्र किया । इस कहने से मेरा यह मतलब नहीं है कि आदमी अपने हौसलों को पस्त करदे और कहे पादशाद होना न चाहिए बल्कि हमेश : अपने हौसले को बढ़ा कर कामयाब होता रहे मगर बाद कामयाबी के अपनी हालत ऐसी न Nauka भारतेन्दु समग्र २०२२