पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१०९५

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लिए फिरते हैं लालटेन में गिलास चारो तरफ बल रहे है सड़क की लैन सीधी और चौड़ी है पालकी गाड़ी बग्गी चिरिद फिटिन दौड़ रही है। रेलवे के स्टेशनों पर टिकट बंट रहा है कोई फर्स्ट क्लास में बैठता है कोई सेकेण्ड में कोई थर्ड में बैठता है ट्रेन को इंजिन इधर से उधर खींच कर ले जाती है बड़े-छोटे तक उहदेदार जब मजिस्टर कलकटर पोस्ट मास्टर पिटी साहब स्टेशन मास्टर करनैल जनरैल कमानियर किरानी और कांस्टेबल वगैरह चारों ओर घूम रहे हैं कोई कोट पहिने है कोई बूट पहिने है कोई पाकेट में लोट मरे हैं लाट साहिब भी इधर उधर आते जाते हैं डाक दौड़ती है बोट तिरते हैं पादरी लोग गिरजों में किसानों को बैविल सुनाते हैं पप में पानी दौड़ता है कप में लप रौशन हो रही है। नं०७-जिसमें पुरवियों की बोली या काशी की देशभाषा है। क साहेब आप कब्बों कलकत्ता गये हो कि नाही ? जो न गये हो तो एक बेर हमरे कहे से आप ऊ शहर को जरूर देखों देख ही के लायक है आपसे हम ओकी तारीफ का करी आपनी आंखो से देखे बिना ओका मजै नहीं मिलता आप तो बहुत परदेस जाथौ एक बेर ओहरो झुक पड़ो । नं०८-जो काशी के अशिक्षित बोलते हैं। महाराज मैं सच कहता हौं कलकत्ता देखने ही के योग्य है आप देखियेगा तो खुस हो जायेगा हम एक दफे गये रहे से ऐसा जी प्रसन्न हो गया कि क्या पूछना 1 नं०९--दक्षिण के लोगों की हिन्दी। सो तो ठीक है कलकत्ते तो आपके एक बेर अवश्य जाना हमारे कू तो ऐसा जान पड़ता है कि जावत पृथ्वी तल में दूसरा ऐसा कोई नगर ही नहीं है। नं०१०-बंगालियों की हिन्दी। सच है उधर राजा बाजार का बड़ा बड़ा दोकान है इधर मछुआ बाजार में बहुत अच्छा अच्छा सामान है कहीं गाड़ी खड़ा है कहीं केली फला है कहीं गोरा की समाज की समाज आती है कहीं अमारा देश का बंगाली बाबू लोगों का पल्टन जाती है के कोम्पानी लोग दीवालिया होया जाता है कहीं मारवाड़ी माल तेकर घर पराता है। नं०११-अंग्रेजी की हिन्दी। बेशक इसमे कोई शक नहीं है कैलकटा देखने का जगह है हम वहां अकसर रहता आप एक बार जाने मांगो वहां जाकर थोड़ा सबुर करो देखो बहुत लोग जाता तो आप घर में पड़ा-पड़ा क्यों सड़ता जाओ' हमारा कहने से जाओ। नं०१२-रेलवे की भाषा ।ईस्टइंडिया रेलवे । इस्तहार --(इसमें दो इश्तहार दिये हैं जिनमे से एक उद्धृत किया जाता है) कजरा स्टेशन में एक सिसत्री जिसका नाम वसी था एक चारपाई नेआ सिलिपर के चौरा कर के बनवाने के वास्ते अगस्त सन् १८८३ ई० साल में गिरफतार कीया गया था और मजिस्ट्रेट साहब ने उसको मोजरिम ठहरा कर एक बरस के वास्ते सत्न मेहनत के साथ कैद किया । हम इस स्थान पर वाद नहीं किया चाहते कि कौन भाषा उत्तम है और वहीं लिखनी चाहिए पर हो मुझे से कोई अनुमति पूछे तो मैं यह कहूंगा कि नम्वर २ और तीन लिखने योग्य है । यदि इसका विचार कीजिए कि यह देशभाषा कहा से आई है तो यह निश्चय होता है कि पश्चिम से आई है और पंजाबी ब्रजभाषा इत्यादि भाषाओं से बिगड़ कर बनी है पर उनका आदि किसी समय में नागभाषा रही हो तो आश्चर्य नहीं । 69 हिन्दी भाषा २०५१