पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/१११६

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संप्राप्तेषोड़शेवर्षे गर्दभीचाप्सरायते॥ एक औरत ने जिसकी जवानी ढल चली थी खूबसूरती के गरूर में अपनी एक नौ जवान लौडी से पूछा "तु मे हुस्न की कितनी कदर करती है" लौड़ी बोली "करीब करीब अपनी जवानी के" । शान चरचा॥ किसी दिन तुलसीदस गुसाई कितने एक आदमियों के बीच कहीं बैठे ज्ञान चरचा करते थे इसमें उस राह से किसी की बरात आ निकली उसके बाजे की आवाज सुन सब के मन दुचिते हुए तब तुलसीदास हंसे उनको हस्ता देख उनमें से किसी ने पूछा महाराज आप क्या देख कर हंसे जवाब दिया दुनिया की भूल देख के बोला सो क्या उत्तर दिया । फूले फूले फिरत हूँ होत हमारो ब्याव । तुलसी गाय बजाय के देत काल में पाव ।। एक बड़ा सौदागर किसी साहिब कमान्त फकीर के यहां जाकर मुरीद हुआ और पीर की खिदमत में आठो पहर हाजिर रहने लगा । खुदा का चाहा छ: महीने के अरसे में उसका ऐसा काम बिगड़ा कि खाने पीने को भी कुछ पास न रहा । एक रोज पीर ने इसे उदास देख कहा कि बाबा क्या तूने यह मसल कभी नहीं सुनी जो इतनी फिक्र करता है। अहलाद करता की बातें क्या करता क्या न करे हाथी मार गर्द में डाले अदना के सिर छत्र धरे । रीती भरे भरी हुलकावे मिहर करे तो फेर मरे । होनहार बिरवान के होत चीकने पात । शैटीनाफ सातवें लूइस का मुसाहिब बड़ाही बुद्धिवान था । जब वह आठ नौ बरस का था एक पादरी ने उससे पूछा "लड़के जो तुम बतला दो कि ख़ुदा कहां रहता है तो मैं तुमको एक नारंगी दूं " लड़का चट से बोला "साहिब अगर आप बतला दें कि खुदा नहीं कहाँ है तो मैं आप को दो नारंगी दूं ।। दुआ मांगना। एक मौलबी साहब अपने एक चेले के यहां खाने गये । जब मेज पर खाना चुना जा चुका चेले ने मौलाना साहब से दुआ मांगने कहा । एक लड़के ने जो वहां हाजिर था घबड़ा कर अपने बाप से पूछा बाबा जब यह कहीं खाने आते हैं तब हमेशा हाथ उठा कर यह बड़ी मिन्नत करते हैं । क्या जो इतनी आरजू न करें तो लोग बुला कर की भी इन्हें भूखा फेर दें" ।। लार्ड केमस अक्सर अपने दोस्तों से एक शखस का किस्सा बयान किया करते थे जिस ने उनके मुलाकाती होने का बड़ा पक्का पता बतलाया था । लार्ड साहिब जिन दिनों बज थे एक बार कहीं सफर में राह भूल गये और एक आदमी से जो सामने नज़र पड़ा दर्खास्त को की भाई जरा हमें रास्ता बता देना । उसने बड़ी मुहब्बत से जवाब दिया 'हजूर मैं निहायत खुशी से आपकी खिदमत के लिये हाजिर हूं, क्या हुजूर ने मुझे नहीं पहचान ? मेरा नाम जान है और मैं एक बार बकरी चुराने की इल्लत में हुजूर के सामने पेश होने सामने पेश होने की इज्जत हासिल कर चुका हूं। "अहा जान मुझे खूब याद है, और तुम्हारी जोरू किस तरह है । उसने भी तो मेरे सामने पेश होने की इज्जत हासिल की थी क्योंकि उसने चोरी की बकरियों को जान बूझ कर घर मों रख छोड़ा था" । "हुजूर के इकबाल से बहुत खुश है, हम लोग उस बार काफी सबूत न पहुंचने से छूट गये थे अब तक हुजूर की बदौलत वही पेशा किये जाते हैं ।" - लार्ड केम्स बोले "तब तो हम लोगों को एक दूसरे की मुलाकात की फिर भी कभी इज्जत हासिल होगी" ।। सिकी लाइक मौलवी ने एक बार निहायत उमदा और दिलचस्प तौर पर तकरीर की खैरात के बराबर दुनिया में कोई अच्छा काम नहीं है । एक मशहूर कंजूस जो वहां मौजूद था बोला "इस तकरीर में यह अच्छी तरह साबित हो जाता है कि खैरात करना फर्ष है इस लिए मेरा भी जी चाहता है कि फकीर हो जाऊ ।। का० भारतेन्दु समग्र २०७२