पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/११४४

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awa विविद हो कि यह लीविंग साहब डाक्टर ने निर्माण किया है और हम लोगों ने इन्द्रप्रकाश अफिस से अभी इसके केवल थोड़े से बादल परीक्षा के हेतु मंगवाए है । निश्चय यह बड़ी अपूर्व वस्तु है क्योंकि निर्बल या अन्न से चिढ़ने वाले या मातृहीन बालकों का तो यह जीया है और निर्वल मनुष्यों का भी यह भक्ष्य के समान है जिनको मंगाना हो मंगा ले। मूल्य-२रु. हरिश्चंद्र कविवचन सुधा २० जुलाई सन् १८७२ 'बनारसी माल' विदेशी लोगों पर विदित हो कि हम लोगों के यहां बनारसी दुपट्टे साड़ी रुमाल मनील कमलाप के थान, चोलखण्ड चिनियापोत और छोटे रुमाल की टोपी इत्यादि अनेक वस्तु बहुत उत्तम और सस्ती बनती है । जिन सौदागर या रसिकों को मंगाना हो यो हम लोगों को पत्र व्यवहार करे निश्चय है कि वे इसमें लाभ भी उठायेंगे और अच्छी वस्तु पाकर प्रसन्न भी होंगे। हरिश्चंद्र चौखम्बा, बनारस कविवचन सुधा जिल्द ३ नं. १९ इश्तिहार मुद्रिका। छल्ले ॥ अगूठियों॥ हम लोगों ने नई चाल के छल्ले सोच कर निकाले और उनमें नगो के नाम पर और रंग के मत सम्बन्धी वा प्रीति सम्बन्धी शब्द निकालते हैं अंग्रेजी फारसी और हिन्दी के वर्षों में लोगों के नाम के मुख्यले अक्षर भी निकल सकते हैं जिन लोगों को ऐसी अपूर्व मुद्रिका बनवानी हो वह अपना नाम और आशय लिखे तो वैसी ही बन जायेगी उसका उदाहरण हम लोग खलों के भय से स्पष्ट रीति से नहीं लिख सकते क्योंकि यदि लोग इस विषय को जान जायेंगे तो हम लोगों के परम श्रम से फलस्थी अाठियों को सहब में बना लेंगे इस्से जिनको जो आग देनी हो उसका आशय हम लोगों को लिखे। हरिश्चंद्र .(बनारस) कविवचन सुधा जि०३ अंक १९, ७ मा १८७२ पुराने सिक्के हम लोगों ने पुराने सिक्के एकत्र किये है जिनको भरपूर मूल्य देकर लेना हो लिखें। कविवचन सुधा जिल्द ३ नं० १९ सन् १८७२ हरिश्चंद्र भारतेन्दु समग्र १०९८