पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/११४६

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फोटोग्राफ फोटोग्राफ का हम लोगों ने नया प्रबन्ध किया है और अनेक चित्र राजाओं के बनारस के रईसों और प्रसिद्ध स्थानों के छापे हैं। जिनको लेने की इच्छा हो मुझे लिखे । हरिश्चंद्र कविवचन सुधा जिल्द ३ नं० १९ सन् १८७१ इस विद्यापन से भारतेन्दु की काह औषधियों के प्रति आस्था झलकती -सं० नये सुचना पत्र सब रोगों का मूल रक्त्त बिगड़ना परम उपचार रक्त शुद्ध करना । स्वल्प है शीघ्रता करौ।।। हम लोगों के पास विष्टलस सारमा परीक्षा के कुछ बाटल आ गये है और विकने के हेतु रक्खे हैं जिनको मंगवाना हो शीघ्र मंगवा लें क्योंकि वस्तु थोड़ी है ग्राहक बहुत ।।। इसके पीने का उपय उसी में कागज पर चिपकाया है । विदित हो कि यह शुद्ध काष्ट औषध है और रक्त के यावत विकार जैसा घबड़ाहट, गजकर्ण, दाद, फोड़े, व्रण, रक्तवित्त, गंडमाला, अंग से चिनगारी सा निकलना, गरमी का कोई रोग, अंग पर लाल या काले चकोटें पड़ना वा किसी रस के खाने से रक्त का बिगाड़ होना इन सब रोगों को यह गुण करता है। यह निर्बल वा बालकों को भी दिया जा सकता है। हरिश्चंद्र मूल्य-बड़ा बाटल-६।।) कविवचन सुधा ५ जुलाई १८७२ कुरान शरीफ अर्थात मुसलमानों के मन की पवित्र धर्म पुस्तक हिन्दी भाषा में । इस बड़े ग्रंथ को मैंने बड़े परिश्रम से हिन्दी भाषा में अनुवाद किया है और अब इसको छापने का भी विचार है परन्तु बड़ा ग्रंथ है और व्यय विशेष है इस्से यह इच्छा की है कि पहिले १०० ग्राहक ठहरा कर तब छापना आरम्भ करूं इस्से विद्यानुसरागी और मतों के जानकारों से निवेदन है कि वे लोग उसके छापने का उत्साह अपने आज्ञापत्र से शीघ्र बढ़ावे और मूल्य इसका छपने के पीछे व्यय के अनुसार रखा जायेगा परन्तु किसी भी दशा में १० रु. से वह विशेष न होगा । १२ जनवरी कविवचन सुधा में प्रकाशित हरिश्चंद्र -सं० 06 भारतेन्दु समग्र ११००