पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/२५५

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पियारे । S जय श्री विठ्ठलनाथ साथ स्वामिनि सुठि सोहत । करि धारे दोउ हाथ रास-नम भरि मन मोहत । नृत्य भाय करि बिबिध जयति जुवती-मन-फेदन । जसुदा-ललित जयति नंद-नंदन आनंदन । श्री गोविंद प्रभु-पालन प्रनत दीन-हीन-जन-उद्धरन । जय असुर-दरन भक्तन-भरन श्री विठ्ठल असरन-सरन ।५ जयति द्वारिकाधीस-सीस मनि-मुकुट बिराजत । जयति चार कर चक्रादिक आयुध छबि छाजत । तिय-दृग द्वै कर नदि जुगल कर बेनु बजायो । कंठ चरन उपमान कंबु अंबुज मन-भायो । जय प्रिया कंकनाकार कर चक्र गदा बंसी अभय । जय बालकृष्ण प्रिय प्रान श्री द्वारिकेस महराज जय ।६ जय श्री गोकुलनाथ जयति गिरिराज-उधारन । बिबि कर वंस प्रसंस कंबु गिरि बिबि कर धारन । रास-रसिक नटराज रसिक-मंडल मनि-मंडन । हरन इंद्र-मद-मान भक्त भव-भयभर-खंडन । श्री राधापति चंद्रावली-रमन शमन गजपति गमन । श्री वल्लभ प्रिय रसमय जयति गोकुलेस मनमय दमन ।७ जय गोकुल-चंद्रमा परम कोमल अग सोहन । रास जूथपति बेनु-बाद-रत तिय-मन-मोहन । मधि नायक बृन्दाबनेस राका ससि पूरन । नटवर नर्तक करन मत्त मनमथ-मद-चूरन । श्रीरघुपति पति अति ललित गति कति जुवती मति जति हरन । रतिरजन नति प्रिय जयति श्री गोकुल-ससि साँवर वरन ।८ जय जय मोहन मदन मदन-मद-कदन ताप-हर । सब सुख-सोभा-सदन रदन-छबि कुंद-निंद-कर । मरजादा उलंघि शुष्टि-पथ थापन चाहत । होइ त्रिभंगी प्रिया बदन मधु रस अवगाहत । बर बंसी कर स्वामिनि सहित करन प्रम-रंग भक्ति-लय । श्री घनश्याम आनंद भरन जय श्री मोहन मदन जय ।९ जय श्री नटवर लाल ललित नटवर बपु राजत । निरतत तजि मरजाद देखि रति-पति जिय लाजत । परम रसिक रस रास रास-मंडल की सोभा । पग कर सिर की हिलनि देखि ब्रज-तिय मन लोभा। श्री बृंदाबन-नभ-चंद्रमा जन-चकोर आनंद-कर । नित प्रम-सुधा-बरखन-करन जय नटवर त्रय ताप-हर। जय जय जय श्री बालकृष्ण जसुदा के बारे । बलदेवानुज नंदराय के प्रान नंदालय कृत जानु पानि रिंगन बाला-कृत । कर मोदक मन-मोद-करन ब्रत जुवती-जन-हित । जदुपति प्यारे आनंदनिधि सब गोकुल के प्रान-प्रद । झंगुली टोपी मसिबिंदु सिर बालकृष्ण जयजनी-सुखद ।११ श्री मुकुंद भव-दुद-हरन जय कुंद गौर छबि । श्याम मिलित मधि जुगल भाव सो किमि बरनै कवि । बाल भाव परतच्छ तरून अतर छबि छाजे । कर मोदक मिस प्रिया अधर मधु स्वाद बिराजै । जदुनाथ मनोरथ-पूर्ण-कर श्रीबल्लभ चिकुरस्थ बर । श्री गिरिधर लालित ललित जय श्रीमुकुंद दुख-दुद-हर ।१२ जय जय श्री गोपाल लाल श्री राधानायक । कोटि काम-मद-मथन-भक्तजन सादा सहायक । प्रिया प्रनय भट गौर बदन सुंदर छबि छाजत । प्यारी रिझवन हेत मुरलि कर लिये बजावत । दरसन दै मन करसन करत ब्रज-बुवतीजन-मन-हरन। काशी मैं बूंदाबन-करन जय गोपाल असरन-सरन।१३ DADDO COD! छोटे प्रबंध तथा मुक्तक रचनायें २१५