पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/४६७

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छूटेगा । विधवा विवाह सब कराया चाहते हैं पर इसने सौभाग्यवती विवाह निकाला । भला मुसलमान होता तो तिलाक दिलवा के भी हलाल कर लेता । पर तिलाक कहां, लक्ष्मीबाई के खसम ने तो नालिश की थी । सच है यह ऐसे ही हजरत थे । हमारे सरकार के विरुद्ध जो कुछ कहै वह भख मारै । यदि ऐसे लोगों के उचित दंड न हो तो वे लोग न जाने क्या अनर्थ करें। कहा भी तो है। 'अदंडयान दण्डयेत राजा दंडयानेवाभिनन्दयन् । अयशोमहदाप्नोति नारकीचगतिंपरा ।।१।।" (ऊपर देखकर) क्या कहा ? और खानदेश का एक कुमार गद्दी पर बैठा भी तो दिया गया । लो भया तब क्या हहाहा! भला तब हम क्या इतना झखते थे । अहा धन्य है सर्कार ! यह बात कहीं नहीं है । दूध का दूध पानी का पानी । और कोई बादशाह होता तो राज जप्त हो जाता । यह इन्हीं का कलेजा है । हे ईश्वर जब तक गंगा यमुना में पानी है तब तक इनका राज स्थिर रहै । अहा ! हमारी तो पुरोहिती फिर जगी । हमै मल्हारराव से क्या काम, हमैं तो उस गद्दी से काम है "कोउ नृप होउ हमें का हानीधन्य अंगरेज ! राम और युधिष्ठिर का धर्मराज्य इस काल में प्रत्यक्ष कर दिखाया, अहाहा ! (ऊपर देखकर) क्या कहा ? कहो और क्या चाहते हो । भला और क्या चाहेंगे हमारा भंडपना जारी ही रहा बड़ोदा का राज फिर मुख से बसा तो अब और क्या चाहिए । और मल्हारराव का जो कहो तो उसका कौन सोच है, जैसे ब्रत वैसे उद्यापन । विषस्यविषमौषधं, तो भी यह भरत वाक्य सफल हो । परतिय परधन देखि न नृपगन चित्त चलावै । गाय दूध बहु देहि, मेघ सुभ जल परसावै ।। हरि पद में रति होइ न दुख कोऊ कहं व्यापै । अंगरेजन को राज ईस इत थिर करि थापै ।। श्रुति पन्थ चलें सज्जन सबै सुखी होहिं तजि दुष्टभय । कविबानी थिर रस सों रहै भारत की नित होइ जय ।। जवनिका गिरती है। इति विषस्यविषमौषधम् नाम भाणं । GEN OSTS कर्पूर मंजरी महाराष्ट्र के क्षत्रिय कवि राजशेखर की प्राकृत कृत" सट्टक" का अनुवाद है। चैत्रशुक्ल ९ सम्बत् १९३३ से शुरू हो" कविवचन सुधा" मे छपा । पुस्तकाकार पहला संस्करण बनारस आर्य यंत्रालय से सन् १८८२ मे निकला सं० कर्पूरी मञ्जरी (सूत्रधार आता है) (सहक) सूत्रधार- (घूमकर) हैं क्या हमारे नट लोग दोहा गाने बजाने लगें? यह देखो कोई सखी कपड़े चुनती है, कोई माला गूंधती है, कोई परदे बांधती है, कोई चन्दन भरित नेह वन नीर नीत, बरसत सुरस अथोर । घिसती है : यह देखो बसी निकली, यह बीन की खोल जयति अपूरब घन कोऊ, लखि नाचत मन मोर ।। | उतरी, यह मृदंग मिलाए गए. यह मंजीरा झनका. यह कपुर मंजरी ४२३