पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/५११

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पाँचवाँ अंक सोचिए । (उपवेशन) स्थान --किताबखाना कदि- (खड़े होकर) मुहम्मदशाह ने भाँड़ों ने (सात सभ्यों की एक छोटी सी कमेटी: सभापति दुश्मन को फौज से बचने का एक बहुत उत्तम उपाय चक्करदार टोपी पहने, चश्मा लगाए, छड़ी लिए; छह कहा था । उन्होंने बतलाया कि नादिरशाह के मुकाबले सभ्यों में एक बंगाली, एक महाराष्ट्र, एक अखबार में फौज न भेजी जाय । जमना किनारे कनात खड़ी कर हाथ में लिए एडिटर, एक कवि और दो देशी महाशय) दी जाय, कुछ लोग चूड़ी पहने कनात के पीछे खड़े सभापति- खड़े होकर) सम्यगण ! आज की रहें । जब फौज इस पार उतरने लगे, कनात के बाहर कमेटी का मुख्य उद्देश्य यह है कि भारतदुदैव की. सुना हाथ निकालकर उँगली चमकाकर कहें "मुए इधर न है कि हम लोगों पर चढ़ाई है । इस हेतु आप लोगों को आइयो इधर जनाने हैं"। बस सब दुश्मन हट उचित है कि मिलकर ऐसा उपाय सोचिए कि जिससे जायगे । यही उपाय भारतदुदैव से बचने को क्यों हम लोग इस भावी आपत्ति से बचें । जहाँ तक हो सके न किया जाय । अपने देश की रक्षा करना ही हम लोगों का मुख्य धर्म बंगाली-(खड़े होकर) अलबत्त, यह भी एक है । आशा है कि आप सब लोग अपनी अपनी अनुमति उपाय है किंतु असभ्यगण आकर जो स्त्री लोगों का प्रकट करेंगे । (बैठ गए, करतलध्वनि) विचार न करके सहसा कनात को आक्रमण करेगा तो ? बंगाली-(खड़े होकर) सभापति साहब जो (उपवेशन) बात बोला सो बहुत ठीक है। इसका कि एडि.-(खड़े होकर) हमने एक दूसरा उपाय सोचा है, एड्रकेशन की एक सेना बनाई जाय । कमेटी भारतदुदैव हम लोगों का शिर पर आ पड़े कोई उसके परिहार का उपाय सोचना अत्यंत आवश्यक है किंतु | की फौज । अखबारों के शस्त्र और स्पीचों के गोले मारे प्रश्न एई है जे हम लोग उसका दमन करने शाकता जायें । आप लोग क्या कहते है ? (उपवेशन) कि हमारा बोोंबल के बाहर का बात है। क्यों दु.देशी-मगर जो हाकिम लोग इससे नाराज नहीं शाकता ? अलबत्त शकैगा, परंतु जो सब हों तो ? (उपवेशन) बंगाली-हाकिम लोग काहे को नाराज होगा । लोग एक मत होगा । (करतलध्वनि) देखो हमारा हम लोग शदा चाहता है कि अंगरेजों का राज्य उत्पन्न बंगाल में इसका अनेक उपाय शाधन होते हैं। ब्रिटिश इंडियन असोसिएशन लीग इत्यादि अनेक | न हो, हम लोग केवल अपना बचाव करता । शभा भी होते हैं। कोई योड़ा बी बात होता हम (उपवेशन). लोग मिल के बड़ा गोल करते । गवर्नमेंट तो महा.- परंतु इसके पूर्व यह होना अवश्य है कि केवल गोलमाल से भय खाता । और कोई तरह नहीं | गुप्त रीति से यह बात जाननी कि हाकिम लोग शोनता । ओ हुँआ का अखबार वाला सब एक बार ऐसा | भारतदुदैव की सैन्य से मिल तो नहीं जायगे। शोर करता कि गवर्नमेंट को अलबत्त शुनने होता । दू.देशी-इस बात पर बहस करना ठीक किंतु हेयाँ, हम देखते हैं कोई कुछ नहीं बोलता । आज नहीं । नाहक कहीं लेने के देने न पड़ें अपना काम शब आप सभ्य लोग एकत्र हैं, कुछ उपाय इसका देखिए (उपवेशन और आप ही आप हाँ, नहीं तो अभी अवश्य शोचना चाहिए । (उपवेशन) । कल ही झाड़वाजी होय प. देशी-(धोरे से) यहीं, मगर अब तक महा.-तो सार्वजनिक सभा का स्थापन कमेटो में हैं तभी तक । बाहर निकले कि फिर कुछ करना । कपड़ा बीनने की कल मंगानी । हिंदुस्तानी नहीं। कपड़ा पहिनना । यह भी सब उपाय है। .- (धीरे से) क्यों भाई साहब ; इस दू. देशी-(धीरे से) बनात छोड़कर गंजी कमेटी में आने से कमिश्नर हमारा नाम तो दरबार से पहिरेंगे, हे हैं। खारिज न कर देंगे ? यडि. परन्तु अब समय थोड़ा है जल्दी उपाय एडिटर--- (खड़े होकर) हम अपने प्राणपण से सोचना चाहिए। भारत दुदैव को हटाने को तैयार है । हमने पहिले भी इस विषय में एक बार अपने पत्र में लिखा था परंतु हिन्दू मात्र अपना फैशन छोड़कर कोट पतलून इत्यादि कवि-अच्छा तो एक उपाय यह सोचो कि सक यहां तो कोई सुनता ही नहीं । अब जब सिर पर पहिरें जिसमें सब दुदैव की फौज आवे तो हम लोगों को आफत आई सो आप लोग उपाय सोचने लगे । भला योरोपियन जानकर छोड़ दें अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है जो कुछ सोचना हो जल्द 44190Kb भारत दुर्दशा ४६७ दू. देशी.. 1