पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/५३१

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30* U Ve B नौ. जो इरशाद । अमीर-(मद्यपान कर के अत्यंत रीझने काई अमीर-आज के जशन का हाल सुनकर दूर नाट्य करता है) कसम खुदा की ऐसा गाना मैंने आज दूर से नाचने गानेवाले चले आते हैं। तक नहीं सुना था । दरहक़ीकत हिंदोस्तान इल्म का मुसाहिब- बजा इरशाद है, और उनको खजाना है। वल्लाह में बहुत ही खुश हुआ । इनआम भी बहुत जियादा : मिलता है न क्यों आवै। मुसाहिब गण-वल्लाह, बजा इरशाद बेशक (चार समाजियों के साथ एक गायिका का प्रवेश) इत्यादि सिर और दाड़ी हिला हिलाकर कहते हैं) अमीर-(आप ही आप) यह तायफा तो बहुत अमीर- तुम शराब नहीं पीती ? ही खूबसूरत है ! (प्रगट) तुम्हारा क्या नाम है ? गायिका- नहीं हुजूर । (मद्यपान) अमीर तो आज हमारी खातिर से पीओ। गायिका- मेरा नाम चडिका है । मैं बड़ी दूर गायिका-अब तो आपके यहाँ आई ही है। से आपका नाम सुनकर आती हैं। ऐसी जल्दी क्या है । जो जो हजूर कहेंगे सब करूंगी। अमीर- बहुत अच्छी बात है। जल्द गाना अमीर अच्छा कुछ परवाह नहीं । (मद्यपान) शुरू करो । तुम्हारा गाना सुनने को मेरा इश्तियाक हर थोड़ा सा और आगे बढ़ आओ । लहजे बढ़ता जाता है । जैसी तुम खूबसूरत हो वैसा ही (गायिका आगे बढ़ कर बैठती है) तुम्हारा गाना भी खूबसूरत होग (मद्यपान) अमीर- (खूब घूरकर स्वगत) हाय हाय ! गायिका-जो हुकुम । (गाती है) इसको देखकर मेरा दिल बिलकुल हाथ से जाता रहा । ठुमरी तिताला जिस तरह हो आज ही इसको काबू में लाना जरूर है । हाँ मोसे सेजिया चढलि नहिं जाई हो । पिय बिनु साँपिन सी डसै बिरह रैन । (प्रगट) वल्लाह, तुम्हारे गाने ने मुझको बेअख्तियार कर दिया है । एक चीज़ और गाओ इसी धुन की छिन छिन बढ़त विथा तन सजनी, (मद्यपान) कटत न कठिन बियोग की रजनी । गायिका- जो हुकुम । (गाती है) बिनु हरि अति अकुलाई हो । हाँ गरवा लगावै गिरिधारी हो, अमीर- वाह वाह क्या कहना है ! (मद्यपान) देखो सखी लाज सरम जग की, क्यों फिदाहुसैन ! कितना अच्छा गाया है छोड़ि चट निपट निलज मुख चूमै बारी बारी । मुसाहिब- सुवहानअल्लाह ! हजूर क्या अति मदमाती हरि कछु न गिनत कहना है । वल्लाह मेरा तो क्या जिक्र है मेरे बुजुर्गों ने छैल बरजि रही मैं होइ होइ बलिहारी । स्वाब में भी ऐसा गाना नहीं सुना था । अब कहाँ जाउँ कहा करूँ लाज की मैं मारी (अमीर अंगूठी उतारकर देना चाहता है) अमीर-(मद्यपान करके उन्मत्त की भाँति) वाह ! वाह क्या कहना है । (गिलास हाथ में उठाकर) गायिका-मुझको अभी आपसे बहुत कुछ एक गिलास तो अब तुमको जरूर ही पीना होगा । लो लेना है । अभी आप इसको अपने पास रखें आखीर में तुमको मेरी कसम, वल्लाह मेरे सिर की कसम जो न एक साथ मैं सब ले लूंगी। पी जाओ। अमीर- (मद्यपान करके) अच्छा! कुछ गायिका- हुजूर मैंने आज तक शराब नहीं पी परवाह नहीं । हाँ, इसी धुन की एक और हो मगर है । मैं जो पीऊँगी तो बिल्कुल बेहोश हो जाऊँगी । उसमें फुरकत का मजमून न हो क्योंकि आज खुशी का अमीर- कुछ परवाह नहीं, पीओ । दिन है। गायिका- (हाथ जोड़कर) हुजूर, एक दिन के गायिका- जो हुकुम (उसी चाल में गाती है) वास्ते शराब पीकर मैं क्यों अपना ईमान छोइँ ? जाओ जाओ काहे आओ प्यारे कतराए हो । अमीर- नहीं नहीं, तुम आज से हमारी नौकर काहे चलो छाँह से छाँह मिलाए हो । हुई, जो तुम चाहोगी तुमको मिलेगा । अच्छा हमारे जिय को मरम तुम साफ कहत पास आओ हम तुमको अपने हाथ से शराब पिलावैगे । किन काहे फिरत मँडराए हो । (गायिका अमीर के अति निकट बैठती है) एहो हरि देखि यह नयो मेरो अमीर- लो जान साहब! जोबन हम जानी तुम जो लुभाए हो 1 (पियाला उठाकर अमीर जिस समय गायिका के 19 । नील देवी ४८७