पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/५३२

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पास ले जाता है उस समय गायिका बनी हुई नीलदेवी चोली से कटार निकालकर अमीर को मारती है और अमीर- (मृतावस्था में दगा -अल्लाह चारों समाजी बाजा फेंककर शस्त्र निकालकर मुसाहिब चंडिका आदि को मारते हैं। रानी नीलदेवी ताली बजाती है (तंबू फाड़कर शस्त्र नी.दे.-ले चांडाल पापी ! मुझको जान साहब खींचे हुए. कुमार सोमदेव राजपूतों के साथ आते हैं । कहने का फल ले महाराज के बध का बदला ले । मेरी मुसलमानों को मारते और बाँधते हैं । क्षत्री लोग यही इच्छा थी कि मैं इस चांडाल का अपने हाथ से बध भारतवर्ष की जय, आर्यकुल की जय, क्षत्रियवंश की करूँ ! इसी हेतु मैंने कुमार को लड़ने से रोका सो इच्छा जय, महाराज सूर्यदेव की जय, महारानी नीलदेवी की पूर्ण हुई। (और अघात) अब मैं सुख पूर्वक सती जय, कुमार सोमदेव की जय इत्यादि शब्द करते हैं)। (पटाक्षेप 6 CETRAR दुर्लभ बन्धु शेक्सपीयर के" मर्चेट आफ वेनिस" का अनुवाद । इसका पहला दुश्य ज्येष्ठ शुक्ल सं. १९३७ की हरिश्चंद्र चंद्रिका और मोहनचंद्रिका में प्रकाशित हुआ। यह नाटक अपूर्ण रह गया था जिसे पं. रामशंकर व्यास और बाबू राधा कृष्ण दास ने बाद में पूरा कर प्रकाशित कराया। दुर्लभा मित्रार्थे गुणिनो शूरा: दातारश्चातिदुल्लभा : । त्यत्तसस्वो बन्धुस्सवेस्सुदुल्लमः ।। like si wie bo Ls als yu cugs La sus comes प्रथम अंक पहिला पृश्य उदास रहता है, इससे में तो व्याकुल हो ही गया हूँ पर तुम कहते हो कि तुम लोग भी घबड़ा गए । हा, न जाने यह उदासी कैसी है,कहाँ से आई है और क्यों मेरे चित्त पर इसने ऐसा अधिकार कर लिया है ? मेरी बुद्धि ऐसी अकुला रही है कि मैं अपने आपे से बाहर हुआ जाता वंशपुर की सड़क (अनत सरल और सलोने आते हैं) सचमुच न जाने मेरा जी इतना क्यों भारतेन्दु समग्र ८८