पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/७०७

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महाराष्ट्र देश का इतिहास रचनाकाल सन् १८७५ । हरिश्चन्द्र चन्द्रिका खण्ड- ३-४ सन् १८७५-७६. पहली बार प्रकाशित । बाबू शिवलन्दन सहाय के अनुसार पुस्तकाकार सन् १८८० में प्रकाशित।सं. महाराष्ट्र देश का इतिहास महाराष्ट्र देश का शृंखलाबद्ध इतिहास नहीं मिलता । शालिवाहन राजा वहाँ के पुराने राजों में गिना जाता है । इसने शाका चल्लाया है और यह भी प्रसिद्ध है कि इसने किसी विक्रम को मारा था । इस की राजधानी प्रतिष्ठान थी, जिसे अब पैठण कहते हैं । देवगिरि का राज्य मुसलमानों के आगमन तक स्वाधीन था और रामदेव वहाँ का आखिरी स्वतंत्र राजा हुआ । तेरहवें शतक में मुसलमानों ने देवगिरि (देवगढ़) विजय कर के उसका नाम दौलताबाद रक्खा । सन् १३५० ई. के लगभग दिल्ली के बादशाह के जफर खाँ नामक सूबेदार ने दक्षिण में एक मुसल्मानी स्वतंत्र राज्य स्थापित किया और वह पहिले एक ब्राह्मण का सेवक था इससे अपना पद ब्राह्मण रक्खा था । इस वंश ने पहिले गुलबर्गा में, फिर बिंदर में, अंदाज डेढ़ सौ बरस राज किया । सन १५०० के लगभग इस राज की पाँच शाखा हो गई थीं, जिनमें गोल कुंडा. बीजापुर और अहमदनगर वाले विशेष बली थे। इस वंश के राज में सन १३९६ में बारह बरस का दक्षिण में एक बड़ा भारी अकाल पड़ा था । हिंदुओं में उस समय कोंकण में सिरका नाम का केवल एक स्वाधीन सरदार था, बाकी सब लोग इन के अधीन थे। ब्राह्मणीराज्य नाश होने के समय सन् १४९६ ई. में वास्कोडिगामा ने पुर्तगाल लोगों के साथ कालीकट में प्रथम प्रवेश किया और सन १५१० में गोआ उन लोगों के अधीन हो गया । बीजापुर के बादशाह आदलशाही और गोलकुंड के कुतुबशाही और अहमदनगर के निजामशाही कहलाते थे । सन् १६२८ में अहमदनगर की बादशाहत दिल्ली के अधिकार में हो गई और गोलकुंडा और बीजापुर भी सन १६८७ ई. में दिल्ली में मिल गए। महाराष्ट्रों का राजस्थापन करनेवाला शिवा जी सन् १६२७ ई. में उत्पन्न हुआ । उस के पूर्वजों का नाम भोसला था. जो लोग दौलताबाद के पास बेरुल गाँव में रहते थे। शिवाजी का दादा मालोजी भोसला अपने वश में पहिला प्रसिद्ध मनुष्य हुआ और उसने अपने बेटे शहाजी का विवाह अहमदनगर के बादशाह के दशहजारी सरदार जादोराव की बेटी से किया और पूना सूबा बादशाह से जागीर में पाया और शिवनेरी और चाकण दोनों किलों का सरदार भी नियत हुआ । अहमदनगर की बादशाहत बिगड़ने पर शहाजी दिल्ली में शाहजहाँ के पास गया और वहाँ से अपनी जागीर कायम रखने की सनद ले आया, पर थोड़े ही दिन पीछे किसी वैमनस्य से दिल्ली का अधिकार छोड़कर वह बीजापुर के बादशाह से जा मिला और अपने राज्य में करनाटक के बहुत से गांव मिला लिये महाराष्ट्र देश का इतिहास ६६३