पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/८८१

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मार्गशीर्ष के महीने में सोना समेत जो तिलपात्र दान करते हैं वे लोग जितने तिलदान करते हैं उतने कुलों का उद्धार करते हैं। पुनः यथा- स्वशक्त्याघृतपात्रं तु सहिरण्यं प्रदापयेत् । यमलोकस्य पंथानं स्वप्नोऽपि न स पश्यति । । जो लोग अपनी शक्ति के अनुसार सोना समेत घी का पात्र दान करते हैं वे लोग सपने में भी नरक का रास्ता नहीं देखते । इत्यादि । अगहन के महीने में कपड़ा और जूता दान करने का बड़ा पुण्य है और अगहन महीने में तुलसी के सामने ब्राहमण को खीर खिलाने का महाफल है। यथा- तुलसीसन्निधौविप्रान् भोजयेद्यस्तुपायसैः । एकेतुभोजितेमार्गे कोटिर्भवतिभोजिता ।। अगहन के महीने में तुलसी के सन्निधान जो लोग एक ब्राहमण को खीर खिलाते हैं वे लोग कोटि ब्राहमण भोजन का फल पाते हैं। और भी अगहन में पूजा की सामग्री और शालिग्राम दान करने की आज्ञा है। यथा- कुंकुमहयगंरूंचैवचंदनं गुग्गुल तथा । पूजाद्रव्यं तथा चान्य मार्गशीर्षप्रयच्छति ।। विप्रायवेदविदुषे वैष्णवाय विशेषतः । सगच्छेन्मामकेलोके संयुतः कुल कोटिभिः । शालिग्रामशिलारम्या मार्गशीर्षेद्विजातये । ददाति हेम सहितांदिव्यवस्त्रैश्चवेश्टिता ।। रत्नपूर्णाम्बसुमती सशैल बन कानना । दत्वायत्फलमाप्नोतितेन तत् फलमाप्नु यात् ।। शालिग्राम तथा चक्र शंख घंटो तथैव च । ददाति तस्य पुण्यस्य संख्याकर्तुन्नशक्यते ।। रोली अगर चंदन गुगुल और भी पूजा की सामग्री जो लोग वेदपाठी ब्राहमणों को और विशेष करके वैष्णव को अगहन में देते हैं, वे लोग अपने करोड़ कुल के सहित हमारे लोक में जाते हैं । जो लोग अगहन में शालिग्राम की रम्य शिला सोना और वस्त्र समेत ब्राहमण को देता है वह रत्नपूर्ण पृथ्वी पहाड़ वन समेत दान करने का फल पाता है और शालिग्राम, गोमती चक्र, शंख घंटा जो लोग देते हैं उनके पुण्य की संख्या नहीं कर सकते । इत्यादि अगहन में स्त्रियों को सोहाग पेटारी दान करना चाहिए। यथा- मासिमार्गशिरेतुस्त्री कुंकुम मौक्तिकानि च । सिन्दूर कज्जलं चापिहेमान्याभरणानिच ।। सुगन्धीन्यपिवस्तूनि ताम्बूलं रंजिताम्बरं । प्रयच्छतिद्विजातिभ्यो तस्य पुण्यफलं शृणु ।। पतिव्रता पुत्रिणी च सुभगा जन्मजन्मनि । स्वप्नेपिभर्तदुःखसानपश्यतिकदाचन ।। अगहन में रोली, मोती, सेंदुर, काजल, सोना गहना, चूड़ी, सुगंध, पान, रँगी साड़ी, और भी ऐना, कंघी, टिकुली इत्यादिक सोहाग की वस्तु जो स्त्रीदान करती हैं वह पतिव्रता होती हैं । उनके पुत्र जीते हैं. जन्म जन्म में भाग्यवान होती हैं और वह सपने में भी पति का दुःख नहीं देखतीं । अब मार्गशीर्ष में और अन्स molt मार्गशीर्ष महिमा ८३७