पृष्ठ:भारतेंदु समग्र.pdf/९५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

FM फरस है और कुंज और अकामनामक महातीर्थ हे ; जिनके चित्त में काम की वासना को लेश है वे या तीर्थ को दर्शन नहीं पावै हैं । और वहाँ की पृथ्वी को नाम अनंगरंग है और श्रीजमुना जी के घाट को नाम खेलातीर्थ है और पुलिन को नाम लीलापुलिन है जहाँ कदंबराज नामक बड़ो कदंब को वृक्ष और भांडीरवट नामक बड़ को वृक्ष है, जहाँ नित्य जुगल स्वरूप को बिहार है ।। ५८ ।। आपके दर्पन को नाम शरदिन्दु है और पंखा को नाम मधुमारूत है और स्मेर नाम को नित्य लीलाकमल श्री हस्त में धारन करै हैं और गेंदा को नाम चित्रकोरक है।। ५९ ।। उज्वल नाम आप को बाण है, बिलासकार्मुक नाम धनुष और मणिबद्ध नाम वाकी डोरी है और अनेक रत्न सों जड़ी बड़े सुंदर मूठ की तुष्टिदा नाम की छुरी है ।। ६० ।। शुग को नाम मंजुघोष और श्रीराधाचित्तहारिणी, महानंदा तथा भुवनमोहिनी ये तीन बंसी है, और मुरली को नाम सरला है, और मदनहुंकृत, बंधुर और षड़घ्र ये तीन बेणु है, और काकली को नाम मूकितपिका है, जाको श्रवन करि कै कोइल मूक होइ जाय हैं, और गौरी और गूजरी टोडी ये दोऊ राग अत्यंत प्यारे हैं । और बीणा को नाम नादवरांगिणी है ।। ६१ ।। वेत्र को नाम मंडल है और लट्ठ को नाम पशुवशीकर है और दोहिनी को नाम अमृतदोहिनी है ।। ६२ ।। श्री मातृचरण ने नवरत्न की भुजा पै रक्षा बांधी है और रंगद नाम के बाजू और चकन नाम के कंकण और रत्नमुखी नाम की अंगूठी है और निगमशोभन नाम को पीतांबर है, और कलझंकार नाम की किंकिनी है और नूपुरन को नाम हंसगंजन है, जाके शब्द सुनतही श्री ब्रजदेविन के चित्त चलायमान होत है ।। ६३ ।। हार को नाम तारमणि है और माला को नाम तडित्प्रमा है और कंठा को नाम कौस्तुभ है, जाके नीचे भुजंगमणि को पदक है । रति और राग के अधिदेवता मंकराकृत कुंडल हैं और रत्नपार नाम को मुकुट है और अमरडामर नाम की सीसफूल है और मोर के चंद्रक को नवरत्नविडंबक नाम है और गुंजा को माला को नाम रागवल्ली और तिलक को नाम दृष्टिमोहन है और पल्लव, पत्र पुष्प और मोर के पच्छ तथा कमल इत्यादि सो गुथी श्री चरणारविंद तक बनमाला शोभित है और जो पंचरंगे फूलन सो गुथी कटि के नीचे तक सुंदर माला है वाको नाम बैजयंती है ।। ६४ ।। श्री युगलसर्वस्व को प्रथम प्रकरण समाप्त भयो । श्री युगलसर्वस्व ९०९