पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/४१

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( २२) भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र निर्वाहार्थ कुछ प्रबन्ध होना चाहिए, समो ने सम्मति कर के एक चिट्ठा खडा किया और सवापाँच पाना सैकडा मन्दिर सब व्यापारी काटने लगे, यह कमखाब बाफता प्रादि यावत् बनारसी कपडे, गोटे, पढ़े और जवाहिरात, इत्यादि पर कटता था। यह चिट्ठा बहुत दिनो तक चलता रहा, और हिन्दू मुसल्मान सभी व्यापारी इसे देते रहे परन्तु श्रीगिरिधर जी महाराज के पीछे यह शिथिल हो चला है अब तक सवापांच पाने सैकडे सब व्यापारी काट तो लेते हैं परन्तु कोई मन्दिर मे देता है, कोई नहीं और कोई उसे दूसरे ही धर्मार्थ काय में लगा देता है। श्री गिरिधर जी महाराज का ऐसा शुद्ध चरित्र और चमत्कार प्रकाश था, कि काशी ऐसी शैव नगरी मे उन्ही का प्रताप था जो वैष्णवता की जड जमाई और इस मन्दिर को इतनी उन्नति बिना किसी राज्याश्रय के दी, परन्तु इनका स्वभाव इतना सादा था कि, प्रात्मोत्कर्ष और आत्मसुख की ओर इनका तनिक भी ध्यान न था। बाबू हषचन्द्र ने बहुत तरह से निवेदन किया कि जैसे श्री बल्लभकूल के अन्यान्य प्रतापी गोस्वामि बालको का जन्मदिनोत्सव होता है वैसे ही आपका भी हो, परतु महाराज इसे स्वीकार नहीं करते थे, जब बहुत दिनो तक यह आग्रह करते रहे तब महाराज ने स्वीकार किया परन्तु इस प्रतिबन्ध के साथ कि इस उत्सव पर हम मन्दिर से कुछ व्यय न करेंगे निदान पौषकृष्ण तृतीया को महाराज के जन्म दिन का उत्सव होने लगा, श्री गोपाल लाल जी, श्री मुकुन्दराय जी तथा श्री गोपीनाथ जी का साठन का बागा (वस्त्र) श्री गिरिधर जी महाराज का बागा सब यहीं से जाता और वहाँ धराया जाता, तथा महाराज के केसर स्नान मे भोग, निछावर, प्रारती तथा भेट प्रादि इन्हीं की ओर से होता है, अब यह उत्सव श्री मुकुन्दराय जी के घर के सब सेवक मानते हैं। ____ सन् १८३४ ई० मे गवर्मेन्ट की ओर से महाजनो से व्यापार की अवस्था और सोना चॉदी की बिक्री के कमी का कारण पूछा गया था। उन प्रश्नो का जो उत्तर बाबू हषचन्द्र ने दिया था, वह पुराने काराजो में मुझे मिला। उस से देश दशा का ज्ञान होता है इसलिये उसका अनुवाद यहाँ प्रकाशित करता हूँ। १ प्रश्न--सन् १८१६ से चाँदी और सोना की खरीद कम हुई है या अधिक और इसका कारण क्या है ? उत्तर--सन् १८१९ से चाँदी और सोने की खरीद बहुत कम हो गई है। चॉदी की खरीद मे कमी का कारण यह है कि जब बनारस मे टेकसाल जारी