पृष्ठ:भारतेन्दु बाबू हरिश्चंद्र का जीवन चरित्र.djvu/८९

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भारतेन्दु बाबू हरिश्चन्द्र का जीवन चरित्र (७१) "नेशनल फण्ड" स्थापित किया था, उस के लिये वह काशी भी पाए थे, ये उस के प्रधान सहायक हुए और बाबू सुरेन्द्रनाथ को एक "ईवनिङ्ग पार्टी" भी दी थी। इसके पीछे ही "नैशनल काङग्रेस" का जन्म हुआ, अत यह आन्दोलन भी उसी में विलीन हो गया। जिस समय सर विलियम म्योर के स्वागत मे काशी मे गङ्गातट पर रौशनी हुई थी उस समय इन्होने एक नाव पर Oh Tax और दूसरी पर- "स्वागत स्वागत धन्य प्रभु श्री सर विलियम म्योर । टिकस छोडावहु सबन को, बिनय करत कर जोर"। यह रोशनी मे लिखवाया था। निदान जितने ही देश-हितकर तथा लोकहितकर काय होते सभी मे ये जी जान से सहायक होते थे। ____श्री मुकुन्दराय जी के छप्पन भोग के उत्सव के निमित्त ११००J३० की सेवा की थी। स्ट्रेन्जस होम, सोलजर्स सोसाइटी, जौनपुर के बाढ़ की सहायता, प्रादि जो अवसर पाते उनमे ये मुक्तहस्त हो सहायता करते थे । प्रसिद्ध बङ्ग कवि हेमचन्द्र बानर्जी, राजकृष्ण राय, द्वारिका नाथ विद्याभूषण, बङ्किमचन्द्र चटर्जी, पञ्जाब यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार तथा हिन्दी के सुलेखक नवीनचन्द्र राय, हिन्दू पेट्रियट सम्पादक कृष्णदास पाल, रईस रैयत सम्पादक डाक्तर शम्भूचन्द्र मुकर्जी, पूना सार्वजनिक सभा के सस्थापक गणेश वासुदेव जोशी, बम्बई के प्रसिद्ध विद्वान डाक्तर भाऊ दाजी और पजाब के प्रसिद्ध रईस और विद्यारसिक सर अतर सिंह भदौडिया आदि से इनसे विशेष स्नेह था और इनके कामो मे बराबर सहायक होते थे। गुणि यो का आदर यह हम ऊपर कह पाए हैं कि गुणियो का आदर और गुणग्राहकता इनका स्वभाव था। काशी मे कोई गुणी आकर इनसे प्रादर पाए बिना नहीं जाता था। कवियो के तो ये कल्पतरु थे । कवि परमानन्द को बिहारी सतसई के सस्कृत अनुवाद करने पर ५००) पारितोषिक दिया था। महामहोपाध्याय पडित सुधाकर द्विवेदी जी को निम्नलिखित दोहे पर १००Jऔर अग्रेजी रीति पर अपनी जन्मपत्री बनवाकर ५००) दिया था -