पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/५२

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पूर्वज-गण ३६ सब का मालिक हमरा बेटा है.बेटे की उमिर छोटी समझ के मोहत- मीम काम को वास्ते हिफ़ाज़त माल असबाब वगैरः व हवेली लहना देना मामिला अदालत की वा सब तरह सो हिफाज़त लड़के मजकूर की बिजीलाल दोस्त हमारा जो है सो करै बसलाह समधी राय खिरोधर लाल के व हमारे हियाँ के गुमास्ते वा अमले वगैरे जो कोई बिजीलाल के कहे मूजिब न चलें उसको न रखें वा इस मुताबिक लोखने के अमल में लावै जब बेटा हमारे बरस एक इस का सब तरह सों होसियार होय तब उसको समझाय दे वा छोटी बेटी हमारी गंगो का बेयाह जिस मूजिब जमुना का भया है उस मूजिब कर दें गहना, कपड़ा बासन वगैरे घर भी तयार है जो कुछ नगदी लगै सो लगाय दें मिती बैशाख वदी ३ सं० १६०१ । लिला दमोदरदास नकलनवीस द० खास ने हिंदी हर्फ में मुकाबिला किया जगन्नाथप्रसाद साखी हरकिसुनदास अगरवाला खजांची कबूलियत बा० हरखचन्द जी की साखी छेदीलाल अगरवाल साखी बेनीराम नागर कबूलियत कबूलियत हरखचंदजी की बा० हरखचन्द जी साखी पुनवासी खानसामा साखी ईश्वर सेव नागर कबूलियत कबूलियत बाबू हरखचन्दजी बा० हरखचन्दजी बाकलम बेनीराम महाकवि बा० गोपालचन्द्र उपनाम गिरिधरदास जिस प्रकार इन महाकवि का जन्म श्री गिरिधर जी महाराज की कृपा से हुआ था उसी प्रकार उनके शुभाशीर्वाद ही के फल अनुरूप इनकी प्रतिभा तथा ज्ञान का प्रस्फुटन हुआ था । बाल्य- काल में ये बड़े ही चंचल स्वभाव के थे। एक बार इन्होंने राय रत्नचन्द्र बहादुर के पालतू कबूतरों का दर्बा, जो विशेषतः इन्हीं के कारण बहुत सुरक्षित रखा जाता था, छत तथा मुंडेरा डाँक