पृष्ठ:भारतेन्दु हरिश्चन्द्र.djvu/६६

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पूर्धेज-गण करन चहत जस चारु कछु कछुवा भगवान को । करि हैं नंदकुमार अपने चरित महान को ।। ८-बाराह कथामृत-इसमें १०१ छंदों में वाराह अवतार की कथा कही गई है, उदाहरण- विरंचिशंभुसेवितं । श्रियाचितश्रयान्वितं ।। मुकुन्दमन्जलोचनं । अघौघवृन्दमोचनं ।। है-नृसिंह कथामृत-१०५ पदों में नृसिंह कथा का वर्णन है। यह वैशाख सु० १४ को समाप्त हुआ था, संवत् नहीं दिया हुआ है । उदाहरण- भयो भयंकर शब्द महान गगड़ गड़ गडडड । फट्यौ खंभ द्वै खंड कराल ककड़ कड़ कड़ड़ड़ ॥ बन्यो कोटि रवि तेज झमक्कि झझड़ झड़ झडडड़ । भगे दनुज गन देखि सरूप ससड़ सड़ सड़ड़ड़ । झढ़ झड़ड़ झड़ड़ परवत गिरहिं हड़ड़ हडस हाली धरनि । अहि कमठ कोल करि थर थरे भए तेज ते हत तरनि ।। १०-वामन कथामृत-वामनावतार की कथा विस्तार से८०१ पदों में कही गई है यह ग्रंथ सं० ११०६ के कार्तिक शुक्ला १२ को समाप्त हुआ था। इसमें लगभग चालीस प्रकार के छंदों का प्रयोग हुआ है। उदाहरण- मख महि चलि आवें, तेज आकास छावें । लखि सुर सुख पा, मोद भारी बढ़ावें ॥ हरि बटु गुन गाव, फूल माला चढ़ावें । यलि रिपु बलि जावे, जै मनावै सुहावै ॥ ११:–परशुराम कथामृत-इसमें संक्षेपत: १०१ पदों में परशु- राम जी की कथा वर्णित है। यह सं० १९०६ के अगहन कृष्णा प्रतिपदा को पूर्ण हुआ था।