पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१५२

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इम्पीरियल होटल, नई दिल्ली करते हो? तो देश के लिए ज्यादा-से-ज्यादा धन पैदा करो, ज्यादा-से-ज्यादा अनाज पैदा करो, और ज्यादा-से-ज्यादा जितना धन और अनाज देश को दे सको, दो। उतना ही देश का काम अच्छा होगा। इसी प्रकार कपड़े का सवाल है । चन्द लोग कपड़ा पैदा करते हैं और उसका उपयोग करनेवाले ज्यादा है। चन्द लोगों ने फायदा उठाया, कुछ व्यापारियों ने भी फायदा उठाया है । वे सब ईमानदारी बरतें तो हमें क्यों डण्डा उठाना पड़े ? उसमें किसी का फायदा क्या है ? वैसा करने से दुनिया में हमारी बदनामी भी होती है। तो मैं उनसे भी कहता हूँ, व्यापारियों से भी कहना चाहता हूँ कि कष्ट के मौके पर इस तरह फायदा कभी नहीं उठाना चाहिए। आज हमारा नैतिक अधःपतन हुआ है, हम बहुत गिर गए हैं। कहते हैं कि सर्विस में भी बहुत कोरप्शन (विकार) है, मैं इस बात से कहीं इनकार करता हूँ ? कितनी ही बुरी बातें भी हो गई। लेकिन हमें किसी जगह पर अटक कर, आगे बढ़ना है। जब तक हम शुरू नहीं करेंगे तब तक यह काम सफल कैसे हो पाएगा? और उसमें एक आदमी से काम नहीं होगा, सब को मिलकर हिन्दुस्तान की आबोहवा बदलनी होगी, एटमोस्फीयर (वातावरण) बदलना होगा। जब तक हम कौमी झगड़े में फंसे थे, उसका जहर जब तक था, तब तक हम दूसरा काम नहीं कर सकते थे। अब यह मिट गया है, और अब अगर हम दूसरे काम में पड़ जाएँ तो यह जहर फिर नहीं उठेगा । लेकिन अगर हम बेकार बैठे रहेंगे, तो कुछ-न-कुछ फिसाद उठेगा। आज मेरा स्वागत करनेवालों में कई हमारे रिफ्यूजी लोग भी है। ऐसा कोई रिफ्यूजी न माने कि गवर्नमेंट में जो लोग बैठे हैं, वे उनके दर्द के बारे में कुछ भी नहीं सोचते हैं। रिफ्यूजी भाइयों के दुख से हमको बहुत कष्ट हुआ है । लेकिन इतना बोझ हमारे पर पड़ गया कि बोझा उठाना मुश्किल हो गया है। कभी आपको गुस्सा आता है, और आप समझ लेते हैं कि गवर्नमेंट कुछ करती नहीं। कभी गलत रास्ते पर ले जानेवाले लोग आप से मिलते हैं और कहते हैं कि यहां ये गवर्नमेंट वाले लोग आपकी कुछ भी परवाह नहीं करते और आपको उनके साथ लड़ना चाहिए । यदि आपको यह गवर्नमेंट पसन्द न हो, तो जो सरकार आपको पसन्द हो, आप चुन लीजिए । हम इतनी उम्र में इस झगड़े में क्यों पड़ें कि जो काम आपको पसन्द न हो, मुल्क को पसन्द न हो, वही करते चले जाएँ। मैं तो इसी उम्मीद पर बैठा हूँ कि जो थोड़े-से