पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१६७

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9 १५० भारत की एकता का निर्माण किसी एक आदमी के पास अधिक धन न हो। हम तो चाहते हैं कि सबके पास चर्खा हो। लेकिन हमें समझना चाहिए कि कहां तक हम आज खड़े हैं और कहां तक हमें जाना है। तो मैंने कहा कि हमें अपनी मध्यस्थ सरकार को मजबूत बनाना चाहिए। साथ ही हमें अपनी रक्षा के लिए फौज़ भी चाहिए। हमारी लशकरी ताकत ऐसी होनी चाहिए कि जिस से हमें कोई डर न रहे। पहले जैसे हैदराबाद के कुछ लोगों ने सोचा था कि ये क्या लड़ेंगे, इनके पास तो कुछ है ही नहीं, वैसी बात फिर कोई सोच न सके । अब हमारे भीतर तो सब समझ गए। बाहर का भी खूब मजबूत होना चाहिए। तो वह कैसे मजबूत हो ? आज हमें फौज रखनी हो तो पुराने ढंग की फौज से काम नहीं चलेगा। अब तीर या तलवार की लड़ाई नहीं रही है। जब हैदराबाद में हमारे टैंक पहुंचे और उनकी आवाज सुनाई दी तब दुश्मनों के पेट में जो खाया था, सब हिलने लगा। वे सोचने लगे, यह तो हमने नहीं देखा था। हम तो रोज ऊपर से हवाई जहाज में पैसा खर्च कर के इतने हथियार बन्दूक लाए थे। लेकिन बन्दूक की गोली तो वे अभी चला नहीं पाए कि दूर से हमारी तोपों की आवाजें आने लगीं। उन्होंने सब ठंडा कर दिया। हमने तो पहले ही कहा था, मगर तब किसी ने हमारी सुनी नहीं। इसलिए हमें नश्तर तो चलाना पड़ा, मगर हम ने इस तरह नश्तर चलाया, जिस से कम-से-कम खून निकले । लेकिन यह जो हमारे पास सामान था, उसी प्रकार का सामान कहां से आता है ? और अपनी रक्षा के लिए हमें और भी क्या-क्या सामान चाहिए? वह न हो, तो काम चलता नहीं है। उसके बिना आज की कोई फौज नहीं चल सकती। उसके बिना तो, जो रजवी का हाल हुआ, वही हाल हमारा भी हो । तो हमारे पास पूरा और अच्छा सामान चाहिए । वह सब सामान हिन्दुस्तान में बनना चाहिए । तो क्या-क्या सामान चाहिए ? आर्मी को ले जाने के लिए ट्रक्स चाहिए, बहुत-सी मोटर लौरी, और जीप्स चाहिए, बड़े-बड़े टेक्स, जिसमें तोपें रहती हैं, चाहिए। ये बड़ी-बड़ी चीजें हिन्दोस्तान में कहां होती है ? हमारे यहां तो अभी कोई चीज़ नहीं बनती। अगर परदेसी लोग भी हमको ये चीजें न दें, तो हम बेकार हो जाएंगे। इसलिए वह चीजें हमें अपने मुल्क में पैदा करनी हैं। तो वह सब पैदा कैसे हो? उसका इल्म हम को जान लेना चाहिए कि उन्हें किस तरह से पैदा किया जाय । तो हमें और झगड़ा