पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१८२

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चौपाटी, बम्बई १६५ का किराया ही होता है। हमारे पास और ज़रूरी सामान भी नहीं हैं। यदि आज हमारी सामर्थ्य होती, तो हमने अपने जहाज क्यों न बनाए होते ? हमारे पास धन हो, तो बाहर से जहाज खरीद कर ही क्यों न ले लें और उनका उपयोग करें। किराये में हमारे जहाज़ निकल आएँगे, इतना फ़ायदा हमें मिल जाएगा। पर हम ऐसा काम नहीं करते। ऐसी चीजें नहीं सोचते । ऐसी बहुत सी और बातें भी हैं। हम अनाज क्यों नहीं पैदा करते ? अनाज और कपड़ा दो चीजें हमें चाहिए। हमारे मुल्क में खाने को रोटी और पहनने को कपड़ा ये दो चीजें हो जाएँ, तो हम और मुसीबतों को बरदाश्त कर सकते हैं और चैन से रह सकते हैं। इतना शान्तिप्रिय हमारा मुल्क है। कपड़ा भी हमारे पास पूरा नहीं है और इसी कारण उसका दाम बढ़ता जाता है। जितना कपड़ा हम पैदा करते है, उसे सबको पहुँचाने के लिए जिस तरह से व्यवस्था करनी चाहिए, वह भी नहीं होती। उसके लिए हमें क्या करना है ? उसके लिए हम कंट्रोल करते हैं। कंट्रोल के खिलाफ बहुत लोग हैं। कुछ लोग पक्ष में भी हैं। अगर हम कंट्रोल उठाते हैं, तो कई लोग भाव बढ़ा कर फायदा उठाते हैं। कई लोग गुस्सा होते हैं। अभी हमारी एक साल की ही गवर्नमेंट है । इसे अपनी व्यवस्था ठीक रखनी है, शान्ति रखनी है और साथ ही इन चीजों का भी प्रबन्ध करना पुरानी गवर्नमेंट की जो मशीनरी थी, वह तो टूट गई। पिछले २०० साल से जो गवर्नमेंट चलती थी, वह सिविल सर्विस के एक ढाँचे पर चलती थी, जिसे स्टील फ्रेम कहते थे। उससे मशीन ठीक चलती थी, क्योंकि वह उसी काम के लिए बनाई गई थी। लेकिन जब सत्ता हमारे पास आई, तब इस मशीन के दो टुकड़े हो गए। परदेसियों का एक टुकड़ा तो चला गया । क्योंकि ५० से ५५ प्रतिशत उसमें परदेसी थे, वह चले गए । हम लोगों ने हिन्दुस्तान के दो टुकड़े किए थे, उसमें कई दूसरे टुकड़े में चले गए । बाकी थोड़े से लोग बच रहे। हमने हर जगह अपनी एम्बेसी (दूतावास) बनाईं, अपने- अपने एम्बेसेडर ( राजदूत ) बनाए । कई उसमें चले गए । हमारे पास बहुत कम आदमी बच रहे । इसीलिए बहुत कम आदमियों से ही हम काम चला रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि सिविल सर्विसेज़ वाले लोग पुराने ढंग से काम करते हैं। वह कुछ ठीक काम नहीं करते। लेकिन जिन लोगों को अनुभव ।