पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२०१

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PER भारत की एकता का निर्माण हाँ, समय आएगा, जब इस प्रकार का काम भी हमें करना होगा और तब हम इसे ठीक तरह करेंगे। लेकिन वह सभ्यता से और सफाई से ही हो सकता है। उसके लिए हम सब में भाई का-सा प्रेम होना चाहिए। उसके लिए जहरी वातावरण पैदा करना मूर्ख लोगों का काम । आज यह समय नहीं है कि हम इस प्रकार का काम करें। आप देखते हैं, अभी थोड़े ही दिन पहले हमने आपका जितना बड़ा प्रान्त है, इसी प्रकार के, बल्कि उससे भी बड़े हैदराबाद स्टेट का फैसला किया। वहाँ कितने साल से एक प्रकार का राज्य चलता था। जिस प्रकार का वह राज्य चलता था, उससे वहाँ की राजनीति में, जो जहर भर गया था, क्या वह चन्द दिनों में निकल गया ? नहीं। इतना बड़ा फोड़ा था, उसमें से पस निकालने के लिए उसे कितने दिनों तक धोना पड़ेगा, तब वह ठीक होगा। आपके सामने इतनी बड़ी जो एक चीज़ बन गई है, उसकी कीमत आज आप नहीं आँक सकते । इसके लिए तो बहुत समय लगेगा। भविष्य का इतिहास- कार उसको तवारीख में लिखेगा । आपको समझना है कि हमारे सिर पर बड़े-बड़े फोड़े निकले थे, और उन फोड़ों को ठीक कर हम हिन्दुस्तान में पूरी एकता और शक्ति लाने का काम कर रहे हैं। आप को मालूम है कि हिन्दोस्तान में ५६२ रियासतें थीं। इतनी रिया- सते हिन्दुस्तान को एक तरह अलग-अलग टुकड़े किए हुए यों। उन सब की अलग-अलग राज्य-व्यवस्था थी। जब परदेसी सल्तनत हमको छोड़ कर चली गई, तो कौन उम्मीद करता था कि एक साल में इस सारी समस्या को हम ठीक कर लेंगे। किसे ख्याल था कि इस सारी कार्रवाही में न किसी को नुक- सान होगा, न कोई मार-पीट होगी। परमात्मा की कृपा से पूरी शान्ति से, अमन से और प्रेम से यह सब काम हो गया । मैं आपको बतलाता हूँ कि यह जो प्रान्तों को नये ढंग से अलग-अलग बनाने का काम है, वह भी हम उसी तरह कर सकते हैं। पर अभी वह करना ठीक नहीं है । इस तरह की जल्दबाजी से बह काम हो नहीं सकता । यदि महाराष्ट्र को अलग होना हो तो सब महा- राष्ट्रियनों को आपस में बैठकर बात कर लेनी है। उसके बाद जिनसे अलग होना है, उनसे बात करनी है, जैसे जिन राजाओं की राज्य-सत्ता हमें लेनी थी, हम उन सब के साथ बैठे थे। पिछले दिसम्बर में में १२ घंटों के लिये इधर आया था। तब आप लोगों