पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१८६ भारत की एकता का निर्माण मैंने कभी सोचा ही नहीं था । लेकिन थोड़े दिनों के बाद मुझे मालूम पड़ा कि मध्यप्रान्त में बस्तर नाम की एक रियासत है। उस रियासत की धरती में काफी धन भरा हुआ है । उसका उपयोग कौन करे, किस तरह से करे, इसके बारे में मेरे पास किसी ने एक रिपोर्ट भेजी। इस रिपोर्ट में मुझे सावधान किया गया था कि बस्तर में कच्चा सोना भरा है, लेकिन उसका उपयोग हिन्दुस्तान के हित में नहीं, बल्कि हिन्दुस्तान के अहित में होनेवाला है । यह कह कर उसमें सारा बयान दिया गया था । उस रिपोर्ट में विस्तार से लिखा था कि बस्तर स्टेट की भूमि में क्या-क्या कीमती चीजें भरी है और उनको किस तरह से मार्टगेज़ किया जाता है । उसमें लिखा था कि हैदराबाद रियासत को बहुत बड़ी लम्बी लीज़ ( ठेके की अवधि ) के लिए सारी स्टेट का यह अमूल्य धन दिया जा रहा है। पोलिटिकल डिपार्टमेंट यह काम कर रहा है। बस्तर स्टेट का राजा समीर (नाबालिक) है, और वालिए ( शासक : गाजि- यन ) परदेसी है। ये परदेसी लोग बहाँ काम कर रहे हैं और बहुत जोरों से यह काम चल रहा है। जब मैंने यह देखा तो मैने पोलिटिकल डिपार्टमेंट से पुछवाया कि बस्तर स्टेट में कोई लीज हो रही है ? और उसके बारे में आप लोगों ने क्या प्रोग्राम बनाया है । वह सब मुझको बतलाओ। पहले तो उन लोगों ने थोड़ी आना- कानी की। लेकिन फिर मेरे पास यह चीज़ आई कि हैदराबाद स्टेट के साथ बस्तर का सम्बन्ध रेलवे से बनाया जाए। और यह रेलवे हैदराबाद स्टेट बनवाए। बस्तर की माइन्स (खानों) में जितना खनिज है, उनका लीज और बहुत लम्बे पीरियड (समय) के लिए यह लीज़ दिया जाए। पोलिटिकल डिपार्टमेंट में यह सब कोशिश हो रही थी। यह भी कि बहुत जल्द यह काम हो जाए। पर उस पर दस्तखत कौन करे ? मैंने पोलिटिकल डिपार्टमेंट से कहा कि यह चीज़ आप नहीं कर सकते । अब आपको तो यहाँ से जाना ही है । उन्होंने कहा कि प्रस्ताव करने वाले स्टेट के शासक हैं। हमने कहा कि अब आपको इस झगड़े में नहीं पड़ना है । इस समय पर तो वे खुद दस्तखत नहीं कर सकते थे, क्योंकि हमने इसमें रोड़ा डाल दिया था। तब उन्होंने राजा को, जो अभी छोटा था, गद्दी पर बैठा दिया । क्योंकि उसकी दस्तखत लेना आसान था । वह अभी कच्चा बच्चा था। यह सब दांव-पेच अभी समझता नहीं था। किया जाए