पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कलकत्ता PE एक्शन डे' भी तो एक रोज देखा था। वह आपको याद होगा। १६ अगस्त १९४६ को आप भूल तो नहीं गए होंगे। मैं नहीं समझता कि कलकत्ता में कभी उसे कोई भूल सकेगा। तो आज भी हमारी हालत ऐसी नहीं कि हम कलकत्ता की उस चीज को भूल जाएँ। उस दिन कलकत्ता से आग की जो चिन- गारी उड़ी, उसने सारे हिन्दुस्तान को जला दिया और वह अभी तक शान्त नहीं हुई। लोग कहते हैं कि यह पाकिस्तान क्यों बना ? उसके बाद ये सब झगड़े-फसाद क्यों हुए? ये सब चीजें अगर हम खोल कर कहने के लिए बैठ जाएँ, तो उसमें से फिर और बुराइयाँ पैदा होंगी। इसलिए वह सब चीज हम अपने दिल में रखते हैं। हम बोलते तो नहीं लेकिन पूरी तरह समझते हैं कि यह किसकी जिम्मेवारी है। किसने कैसा और क्यों किया? ठीक है । जो कुछ हुआ, सो हमारी किस्मत से हुआ। लेकिन वह सब फिर न हो, उसके लिए हमें क्या करना है ? उसके लिए मैंने कहा कि या तो आप गान्धी जी के रास्ते पर चलो और या फिर हमारी फौज मजबूत चाहिए, हमारी पुलिस मज- बूत चाहिए और हमारे देश में एका होना चाहिए। अगर हम आपस में लड़ते रहेंगे तो फिर और भी ज्यादा खराबी होगी। तो मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि पाँच चार साल तक के लिए आपस में लीडरशिप का यह झगड़ा छोड़ दो। और तब तक आपस में मिल- जुल कर काम करो । यह पसन्द न हो तो अलग रहो, लेकिन जो काम कर रहे हैं, उन्हें काम करने दो। अभी कुछ लोग कहते हैं कि सरकार ने जो यह बिल पेश किया, उससे हमारी सिबिल लिबरटी ( नागरिक स्वाधीनता) चली गई । मुझे समझ में नहीं आया कि हम ने कितने आदमियों को पकड़ के बैठा लिया है, जो कहते हैं कि हमारी सिविल लिबरटी चली गई। सिविल लिबरटी कलकत्ता से चली गई, या किसी और सूबे से चली गई? और प्रान्तों में भी तो ऐसे ही बिल पेश किए गए हैं। किसी ने कोई ऐसी शिकायत नहीं की। क्योंकि यह बिल इस तरह से बनाया गया है कि उसका उलटा उपयोग नहीं हो सकता। अगर हमारे लोग इस बिल का ऐसा उपयोग करें कि अपने पोलि- टिकल अपोनेन्ट ( राजनीतिक विरोधियों) को तंग करें, तब तो मिनिस्टर लोगों को भी जेलखाने में जाना पड़ेगा। उससे हमें डर क्यों होना चाहिए? लेकिन यहाँ तो उसको हथियार बना कर प्रधान मण्डल के ऊपर हल्ला करना उद्देश्य बन जाता है । लेकिन आज उनका टर्न ( बारी ) आया है, तो