पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२५७

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१२४ भारत की एकता का निर्माण सकता है ? तो हमारी प्रार्थना होनी चाहिए कि जबतक खुदा हमें ज़िन्दगी दे, तब तक हम सही रास्ते पर चलें और कोई गल्ती न करें। बड़ी नम्रता से हमें हमेशा खुदा से यही प्रार्थना करनी चाहिए। अपने जीवन में हम जो कुछ कर पाते हैं, वह कोई बड़ी बात नहीं है, जिसके लिए हम मगरूरी ले सकें। क्योंकि जो कुछ हम करते हैं, उसमें हमारा क्या भाग है ? असल में कराने वाला तो खुदा है । इन्सान तो खाली एक हथियार बनता है । इन्सान यदि जागृत हो तो उसका यह धर्म हो जाता है कि हमेशा प्रार्थना करें और कोशिश करें कि उससे कोई गल्ती न हो। अभी आप नौजवानों ने खुदा से प्रार्थना की है। आप नौजवानों को और जिन विद्यार्थियों को उम्मीद है कि आगे चल कर उन्हें भी ऐसी पदवी मिले, उनसे मैं एक ही बात कहूँगा कि हमारे देश की इज्जत को कोई भी दाग लगे, ऐसा कोई काम आप से कभी न हो । आप के कारनामों से हमारी इज्जत हमेशा बढ़ती रहे और दुनिया में लोग कहें कि हिन्दुस्तान के नौजवान भारत के स्वतन्त्र हो जाने के बाद दूसरे प्रकार के बन गए हैं । हमारे लोग भी समझे और दुनिया के लोग भी समझे कि भारत की जो पुरानी संस्कृति थी, ये नौजवान उसके वारिस हैं। उस जमाने का नाम लेकर आजकल जो लोग युनिवर्सिटियों के नौजवानों को गलत रास्ते पर ले जा रहे हैं, वह मुल्क की भलाई की नहीं, बल्कि मुल्क को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। वे आपस में लड़ते हैं और देश तथा नौजवानों का नुकसान ही करते हैं । वे लोग असली भारतीय संस्कृति को छोड़ कर पराई संस्कृति के मोह में पड़े हैं और वे मुल्क को आगे ले जाने वाले नहीं है। आपने अपनी यूनिवर्सिटी की तरफ से मुझे भी पदवी-दान दिया है । जैसे आपको प्रयत्न करना है, वैसे ही मुझे भी कोशिश करनी है कि इस पदवी के लिए खुदा मुझ को योग्यता दे । और में उसकी कोशिश करूंगा। खुदा आपका भला करे।