पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२६७

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२४४ भारत की एकता का निर्माण पूरी पाबर (शक्ति) नहीं है कि वह जो चाहे, सो कर सके । तो हम सब को यह बोझ मिल कर उठाना है। इसके लिए सब को अपना-अपना जेब थोड़ा- थोड़ा काट कर रखना पड़ेगा। हाँ, यह सम्हालना हमारा काम है कि आपके पैसे का खर्च ठीक होता रहे। राज्य की एफिशन्सी (कार्यदक्षता) तभी कायम रहेगी, जब हमारे प्रतिनिधि जागृत रहें और हम उनको जागृत रवखें । यह दोनों बातें साथ-साथ होंगी, तभी काम चलेगा। यदि हम निगरानी छोड़ देंगे, तो उससे काम नहीं चलेगा। म्युनिसिपैलिटी की एफ़िशन्सी भी तभी कायम रहेगी। मैने जो चन्द बातें आपके सामने रखी हैं, वे अनुभव की बातें हैं। मैंने म्युनिसिपैलिटी में काफी काम किया है और मैं आप से कहना चाहता हूँ कि म्युनिसिपैलिटी का काम करने में मन की और दिल की जितनी शान्ति रहती है, वह दूसरी जगह पर नहीं रहती। पोलिटिक्स (राजनीति) का क्षेत्र बड़ा मैला है । यह मैला काम है, गन्दा काम है । म्युनिसिपलिटी को लोग कंजर्वेन्सी (मलनिवारण) का काम कहते हैं। लेकिन म्युनिसिपैलिटी में जितनी गन्दगी हैं, उसे कहीं ज्यादा गन्दगी पालिटिक्स (राजनीति) में है । म्युनिसिपैलिटी में तो गटर्स (नालियां) ही साफ करने की है, लेकिन राष्ट्रीय क्षेत्र के भीतर जो गटर्स है, वे बहुत बड़े डर की चीज़ हैं। उनको साफ करना बहुत ही कठिन काम है । जो अपना दिल साफ़ न रक्खे, वह राज्य का बोझ नहीं उठा सकता। तो मैंने म्युनिसिपैलिटी में बहुत सालों तक काम किया। उन दिनों मुझे रात को बहुत अच्छी नींद आती थी। क्योंकि मैं जब शहर की सफाई का या शहर के गरीब लोगों की सेवा का काम करता था, तो मुझे शाम को यह अनुभव होता था कि मैंने दिन भर में कुछ काम किया है । इस से बहुत अच्छी नींद आती थी। इसलिए मैं कहता हूँ कि म्युनिसिपैलिटी का काम बहुत ही अच्छा बल्कि सब में अच्छा काम है । इसलिए म्युनिसिपैलिटी के प्रमुख को भंगी कहते हैं। वह भंगी की प्रतिमा है । वह झाड़ का काम करनेवाला है । इसका मतलब यह है कि शहर को साफ रखना और शहर को सुखी रखना, यह म्युनिसिपैलिटी के अधिकारियों का कर्तव्य है । आप लोगों ने जो मानपत्र मुझे दिया, इसलिए में आपका शुक्रिया अदा करता हूँ। बाकी मुझे मानपत्र की क्या जरूरत है ? आप लोगों का इतना प्रेम और इतना मान का भाव है, दही मेरे लिए मानपत्र है। तो भी जिस प्रेम से