पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३०५

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२७८ भारत की एकता का निर्माण काम नहीं है, मजदूरी नहीं है, जमीन नहीं है । उनको भी हमें रास्ते पर लाना है । उनको भी कुछ-न-कुछ गृह-उद्योग सिखाना है। उसके लिए भी हमारे संगठन को कुछ ठोस काम करना है । लेकिन जब आपका संगठन पूरा हो जाए, और आपकी ताकत बढ़ जाए, तभी हम उस ओर जा सकते हैं। वे लोग आज बेकार पड़े हैं और दुखी हैं। उनके दुख में भी हमें हिस्सा लेना चाहिए, जिससे हमारा मुल्क मज़बूत बने और हम सबका कल्याण हो । मैं उम्मीद करता हूँ कि मैंने जो बातें आप से कहीं उनपर आप विचार करेंगे और अमल करेंगे। (तालियां) ---