पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३०७

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मुल्क को २८० भारत की एकता का निर्माण क्योंकि कौन नहीं जानता है कि शरीर तो मिट्टी का बना हुआ है, वह मिट्टी में ही चला जाएगा। जब उसका समय आएगा, तो उसका कोई उपाय करने वाला भी नहीं होगा। लेकिन मुल्क के लिए यह साल बहुत कठिन गुज़रा है । मुझे रात-दिन उसी का दर्द रहता है। सामने की ओर देखता हूँ तो अभी आगे जो साल आनेवाला है, वह उससे भी कठिन दिखाई देता है । यह तलवार की धार पर चलने के समान होगा। थोड़ा-सा भी आगे-पीछे चले, तो हम में डाल देंगे। मेरे जैसे आदमी के लिए तो कुछ बाकी नहीं रहा है । दुनिया में और खास तौर से हिन्दुस्तान-जैसे मुल्क में ७४ वर्ष की आयु बहुत होती है । जैसी आप लोगों की आज मेरे लिए हृदय की भावना है, ऐसी भावना देखकर जाने से बेहतर तो कोई और जाना अच्छा नहीं हो सकता। तो में ईश्वर से रात-दिन प्रार्थना करूँगा कि जो भाव आप के दिलों में भरे हैं, प्रेम का और जो शुभाशीष आप मुझे दे रहे हैं, उसके लिए मैं जबतक जिन्दा रहूँ, दिन-पर-दिन अधिक लायक होता रहूँ । लेकिन हमारा नेता, हिन्दुस्तान का नेता, तो आज परदेस में है । मेरा काम तो मर्यादित है कि उनके हाथ- पर मजबूत करना, जब तक मुझ से हो सके। अब वह अपनी शक्ति से बाहर हमारी इज्जत बढ़ा रहा है । और दुनिया में हमारी जो इज्जत बढ़ी है, वह सब से ज्यादा तो गान्धी जी ने बढ़ाई है। उनके जीवन से बढ़ी, उनकी मृत्यु से और ज्यादा बढ़ी। दूसरा हमारा आज का नेता जिस स्नेह से और जिस भाव से बाहर अपना काम कर रहा है, उससे भी हमारी इज्जत बढ़ी है। लेकिन आखिर यदि हमें अपने मुल्क की सच्ची इज्जत बढ़ानी है और उसकी रक्षा करनी है, तो हमें अपना घर सब से पहले संभालना पड़ेगा। जिसका घर ठीक नहीं है, उसकी बाहर कितनी भी इज्जत हो, वह ज्यादा दिन नहीं चलेगा। तो दुनिया को हमसे जो उम्मीद है, वह उम्मीद पूरी करना हमारा काम है । हमारे कितने ही साथी, जो कांग्रेस से बाहर निकल गए, आज हमारी आलो. चना करते हैं। कई तो यहाँ तक कहते हैं कि अंग्रेज का राज्य भी आज के राज्य से अच्छा था। वे वहाँ तक पहुँच गए, यह बदकिस्मती की बात है। क्योंकि जब दिल में इस तरह का भाव आता है, तब यह सिद्ध होता है कि हम गुलामी

  • प्रधान मन्त्री जवाहरलाल उन दिनों संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में प्रेजीडेंट

टू मैन के निमन्त्रण पर गए हुए थे