पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३११

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२८४ भारत की एकता का निर्माण तो हमें भरना ही है । लेकिन भरने के लिए इन्तजाम करना हो, तो आज हमें अपना सब सामान पैदा करना है। बूंद बूंद एकत्र करने से सरोवर भर जाता है । समुद्र भी इसी तरह भरता है । तो हमें भी सबका साथ चाहिए। थोड़ी- थोड़ी कुर्बानी न करने से तो आज हमारा सब काम रुक गया है । मुल्क में धन पैदा नहीं होता है । अंग्रेजों के जमाने में धन पैदा होता था। वह अपना हिस्सा ले जाता था, लेकिन ज्यादा धन पैदा होता था। आज धन पैदा होना बन्द हो गया है। कई कहते हैं कि धनिकों ने हमारे साथ धोखा किया है, इसीसे ऐसा हुआ है । कुछ हद तक यह बात सही हो सकती है । लेकिन दो हाथ के बिना ताली नहीं बजती है और भले बुरे जैसे भी हैं, वह हमारे धनिक उनका साथ नहीं लेंगे, तो हमारे खुद में इतनी ताकत होनी चाहिए कि उनको छोड़ कर भी हम अपना काम कर सकें । उनको गाली देने से क्या फायदा है ? मैं मुल्क की किसी एक शक्ति की इस तरह से आलोचना करने वाला आदमी नहीं हूँ। मैं यह बात चाहता भी नहीं हूँ। लेकिन जितनी शक्ति देश में है, उस सब को जमा करके हमें काम करना है। अपने आर्थिक संगठन करने के लिए हमें तो सब को समझाना है और हम यह सबको समझा किस तरह से सकते हैं ? जिस तरह मैंने राजा महाराजाओं को समझाया है, उसी तरह से । दूसरी तरह से नहीं। हां, किसी से दण्ड से भी काम लेना पड़ता है। लेकिन अधिक काम साम और दाम से ही होता है। हमारा काम है समझाना, प्यार से समझाना, क्योंकि वे हमारे अपने ही हैं। मुहब्बत से. इन्सान का दिल पिघल जाता है। हम जितना उन्हें दूर रखेंगे, उतना वह दूर भागते जाएंगे । मैं आपसे कहता हूँ कि आज मुल्क में ज्यादा धन पैदा करो तो उसी से आर्थिक स्वतन्त्रता प्राप्त होगी। लेकिन आप बार बार एक ही बात करते रहेंगे कि हमारे पास तो यह चीज नहीं है, वह चीज नहीं है। जैसा कुछ लोग कहते हैं कि हमारे पास चीनी नहीं है और आज अगर हमारा चुनाव हो, तो हम हार जाएंगे । क्योंकि दीवाली के मौके पर हर घर में चीनी बिना ऐसा एक मौका पैदा होगा, कि सब घरवालियां हमें गाली देने लगेंगी। लेकिन उनकी मालूम नहीं है कि चन्द लोगों ने अगर शक्कर छिपाई हो, तो ठीक है। लेकिन अगर देश में शक्कर सचमुच ही कम है, तो उसे कहां से लाना है । कई लोग हम को लिखते हैं कि बाहर से चीनी मंगाओ। उनको मालूम नहीं है कि बाहर से भी आज चीनी नहीं मिल सकती। मिल सकती, तो हम तुरन्त