पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३१२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

- अभिनन्दन समारोह में २८५ लाते । थोड़े दिन शक्कर का फाका करना पड़े, तो उससे हमारा कोई आदमी मरनेवाला नहीं है । गुस्सा करनेवाले और गाली देनेवाले तो ज़रूर हैं । हम अपनी गलती भी महसूस करते हैं कि कुछ गलती भी हमने की। लेकिन इस स्वराज्य के मानी भी यही हैं कि गलती करते करते हम लोग अपना काम खुद करना सीख जाएँ । यदि उससे ज्यादा कोई बेहतर काम चलानेवाले हों, तो मैं उनको मुबारकबाद दूंगा कि आइए, भाई, बैठिए। लेकिन अगर ऐसा न हो, तो देश की सब शक्तियों को मिलाकर हमें काम कराना है । इसी तरह से हमारे मुल्क में अनाज कम पैदा होता है। क्योंकि जिस भाग में ज्यादा अनाज पैदा होता था, वह भाग अब अलग हो गया है। किसी- न किसी तरह से हम वहाँ से दौड़कर आए हैं। अब वाहर के मुल्कों से जो अनाज आता था, वह भी नहीं आता है। तो हमें अब अपने लिए पूरा अनाज पैदा करना है । कई लोगों ने दो-दो साल का अनाज भर लिया है । देहातों में तीन तीन साल का भरा है। वे डरते हैं कि अगर आज हम निकाल देंगे, फिर अगले साल दुष्काल आएगा, तो क्या करेंगे और भाव बढ़ जाएगा, तो क्या करेंगे। लोग इस तरह से जमा करके रखते हैं, यह अच्छी बात नहीं है । हमें सारे मुल्क को समझाना पड़ेगा कि ज्यादा अनाज पैदा करो और कम-से-कम खर्च करो। कम से कम वेस्ट ( बरबाद ) करो। जब तक हमारा पड़ोसी भूखा है, तब तक हमें ख्याल करना चाहिए कि हमारे पास अपनी ज़रूरत से जितना ज्यादा है, उतना तो हम उसे दे दें। यह भाव जब तक हिन्दुस्तान में पैदा नहीं होगा, तब तक हमारी प्रजा शक्तिशाली नहीं होगी, प्रभावशाली नहीं बनेगी । और दुनिया हिन्दोस्तान से इस चीज की उम्मीद करती है कि यह गान्धी जी का हिन्दुस्तान हैं। हमारी संस्कृति बहुत पुरानी है, हमारा मुल्क धर्म परस्त है। और हमारी संस्कृति भी यही कहती है। अपने मुल्क में हम पुरानी संस्कृति से काम नहीं लेंगे, तो लोग कहेंगे कि ट्रेड यूनियन बनाओ और सब के पास भागो कि वे माँगें कि पहले हमारा हिस्सा हमें दे दो। उसके वाद सरकारी कर्मचारी कहें कि हाँ, हम को भी हमारा हिस्सा दे दो। धनिक भी कहे कि हम अपना धन छिपा कर रखेंगे, क्योंकि यदि हम बाहर निका- लेंगे, तो इनकम टैक्स ( आयकर ) कमीशन वाला बैठा है । वह कहेगा कि बताओ यह कहाँ से लाए ? तुम चोर हो। हम सब इस तरह काम करेंगे तो हमारी आर्थिक स्वतन्त्रता नहीं होगी, बल्कि पराधीनता होगी।