पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३४१

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भारत की एकता का निर्माण लोगों को तो यही मालूम होता है कि सारे कलकत्ते में इतनी अराजकता फैल गई है कि वहाँ कुछ काम करना ही मुश्किल है, और रहना भी मुश्किल है। पर जब लोग इधर आते हैं, तो उन्हें मालूम पड़ता है कि ऐसी कोई बात नहीं है । चन्द लोग बिगड़े हैं, और वे मुट्ठी भर लोग सारे कलकत्ता को तंग करना चाहते हैं। वे बंगालं की सरकार को भी तंग करना चाहते हैं, और लोगों को भी तंग करना चाहते हैं और एक प्रकार का जुल्म करके सबको डराना चाहते हैं। उनकी क्या मंशा है, यह में नहीं समझता। क्योंकि हमारी समझ में नहीं आता कि इनका मतलब क्या है और वे क्या कराना चाहते हैं ? में कम्यूनिस्ट आइडियोलोजी ( साम्यवादी आदर्शों ) को समझ सकता हूँ। लेकिन मैं यह नहीं समझ सकता कि इस तरह से नुकसान करने से या वम डालने से या धोंगामस्ती करने से कौन सी चीज मिलनेवाली है । लेकिन इसके साथ ही मुझे दुख भी होता है कि कलकत्ता में रहने वाले लाखों नाग- रिक इस चीज़ को क्या समझते हैं और इसकी तरफ़ उनका ध्यान क्यों नहीं जाता? क्या उनका फर्ज नहीं कि वे उसका ख्याल करें? पुलिस का काम इन कामों को रोकने का जरूर है । लेकिन लोगों का यह सोचना कि यह सरकार का काम है, हमारा काम, नहीं है, बड़ा गलत ख्याल है। क्योंकि आज देश में जो हुकूमत है, वह परदेशी नहीं है । परदेशी हुकूमत के जमाने में जिस ढंग से हम काम किया करते थे, उस ढंग से अब हमारा काम नहीं चल सकता । हम से वैसा नहीं हो सकता, और न होना ही चाहिए । हाँ, जब आपका ख्याल होगा कि हमें यह हुकूमत नहीं चाहिए, उस समय आप खुद इसे हटा सकते हैं। हमारे प्रधान मन्त्री इधर आए, हमारे और नेता इधर आए और उन्होंने देखा और कहा कि अच्छा, यदि आप नए चुनाव करना चाहते हैं, अपनी गवर्न- मेंट बदलना चाहते हैं, तो हम नया चुनाव कर लेंगे । अब आप वैसा चाहते हो या न चाहते हो, लेकिन उन्होंने तो यह कहा है । और दूसरा रास्ता हो भी क्या सकता है ? क्योंकि आज अगर हमें अपनी गवर्नमेंट बदलनी हो, तो उसके लिए चुनाव के अलावा दूसरी कार्यवाही नहीं हो सकती। नए चुनाव में कोई और भले ही जीते, मगर जो भी होगा, हमारे घर का ही होगा, कोई बाहर से तो नहीं आएगा। लेकिन हमने देखा कि चुनाव करना हो, तो वह