पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३५६

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( २६ ) दिल्ली प्रदर्शनी का उद्घाटन २९ जनवरी, १९५० प्रमुख साहब, भाइयो और बहनो, इस प्रदर्शनी का उद्घाटन करने का काम मैन कबूल कर लिया, इसका कुछ रहस्य में आप को समझाना चाहता हूँ। जब २६ ता० को पूर्ण स्वराज्य को घोषणा हुई, तो उसी मौके पर यह प्रदर्शनी खोलने का विचार था। लेकिन उस दिन यह नहीं हुआ। परन्तु इससे कोई फर्क इसके महत्व में नहीं पड़ता। क्योंकि संकल्प तो यही था कि इस प्रदर्शनी को उसी दिन खोला जाए। लेकिन उस दिन इतना काम था कि उसमें समय निकालना भी बहुत मुश्किल था और आम जनता को दो जगह जाना भी मुश्किल था। उस समय पर कुछ हवा भी ऐसी थी और बादल भी घिरा हुआ था। तो उस समय इस काम को मुलतवी रखा । पर उससे कुछ नुकसान नहीं हुआ। देहात के लोग उस रोज़ ज्यादा आए थे, परन्तु उनके लिए भी दो जगहों पर जाना मुश्किल होता। लेकिन यह तो कोई एक दिन का काम नहीं है। उस रोज़ जो बिधि हुई, वह तो एक ही रोज की थी, लेकिन प्रदर्शनी तो कई दिनों तक खुली रहेगी। देहातवालों को भी मालूम हो जाएगा कि प्रदर्शनी खुल गई है, और वे लोग आ जाएंगे, और देखेंगे। तो उससे आपको नाउम्मीद होने की कोई जरूरत नहीं है । क्योंकि