पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३७२

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हैदराबाद ३३६ तो उसके लिए हमारे दिल में कोई रहम-रियायत हो नहीं सकती। कई लोगों ने किसी के हुक्म से काम किया तो हम देखेंगे कि हुक्म देनेवाला कौन था। हुकुम का अमल बफादारी से करना कितना धर्म है, वह भी हमें देखना पड़ेगा। इन सब चीजों में कानून से काम हो सकता है, क्योंकि हमारे यहाँ आज जो लोक-शासन बना है, उसमें एक व्यक्ति के हाथ में कोई पावर (शक्ति) नहीं है । और हो तो भी, उसके ऊपर बहुत बोझ पड़ता है और वह सब काम अपने हाथ से नहीं कर सकता। जैसा में कांग्रेस से आशा करता हूँ, वैसा ही मैं यहां की सब कौमों से भी आशा करता हूँ। और आप सब से कहता हूँ कि यहां पूरा अमन कायम कीजिए। आप समझ लीजिए कि मैं किसी को खुश करने के लिए कोई बात करने वाला आदमी नहीं हूँ। मैं साफ़-साफ बात करनेवाला आदमी हूँ। मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि आज आपका जो मेल दिखाई दे रहा है, वह अच्छा है। उससे मुझे खुशी है। आज हैदराबाद में से इस तरह की खबरें नहीं आ रहीं कि किसी जगह पर कोई बखेड़ा हुआ, कोई तूफान हुआ, कोई बैर की बात हुई । इसी में हैदराबाद का भला है। लेकिन अभी तक मेरे दिल में यह विश्वास नहीं है कि आप लोगों के अन्तर का मैल चला गया है । मैं आपसे साफ़ कहना चाहता हूँ, कि उसका आपको सबूत देना चाहिए। जब लायकअली हैदराबाद से भाग गया, तो क्या आप मुझ से यह कहना चाहते हैं कि आप लोगों में से किसी को कोई पता ही नहीं था और सारी जिम्मेवारी हमारी ही थी ? में यह पूछना चाहता हूँ कि कितने मुसलमानों को यह दर्द हुआ कि यह आदमी हिन्दुस्तान से क्यों भाग गया? यदि मुसलमान हैदराबाद के हैदराबादी होते, हिन्दुस्तानी होते, तो उनके दिल में दर्द उठती और वे आवाज़ उठाते कि "तुम हमको छोड़ कर भाग क्यों गए? तुमने यह नहीं सोचा कि तुम्हारे इस प्रकार भाग जाने से कौम के ऊपर क्या बोझ आएगा आपने कौम की अजाादी को जोखम में डालकर तुम अपनी खुद की आज़ादी के लिए दौड़ गए । इस प्रकार तुमने जो कुछ किया, उससे मुसलमान कहाँ तक खुश हो सकते है ?" हिन्दोस्तानी मुसलमान इस बात पर रोता कि इस आदमी ने क्या किया। मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि जब मैंने सुना कि चन्द मुसल- मान यहाँ नाचने लगे, कूदने लगे तो मुझे बहुत अफ़सोस हुआ । उसको मैं क्या कहूँ। वैसे मैं आपका कसूर नहीं निकालता । जब गान्धी जी का खून हुआ तो ?