पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३७६

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1 हैदराबाद पाकिस्तान के बीच में कभी लड़ाई न हो। लड़ाई की ख्वाहिश रखनेवाले लोग तो पागल होते हैं। हम इस तरह की कोई ख्वाहिश नहीं रखते । हम दिल से चाहते हैं कि लड़ाई न हो। यह तो सौदागरी कर लीजिए कि सिन्धी अपने घर लौट जाएँ और जो मुसलमान इधर से वहाँ गए हैं, अगर वे लौट कर आना चाहें, तो उसकी आज्ञा हम दें देंगे। इसी प्रकार का प्रबन्ध हमने बंगाल में भी किया। इस बारे में काफी कोशिश की। इसे आगे बढ़ाना हो, तो रास्ता यह है कि हिन्दू और मुसलमान मोहब्बत से रह सकें। उसके लिए हमें हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में सामान पैदा करना पड़ेगा । यदि आप यह कहते रहेंगे कि दुनिया में हमारा एक ही दुश्मन है, और वह हिन्दुस्तान है, तब तो आप ही दुश्मनी का ऐलान करते हैं। मैं यह बात हैदराबाद के सब हिन्दू-मुसलमानों को समझाना चाहता हूँ: हिन्दुओं से भी मैं कहना चाहता हूँ कि पीछे जो कुछ हुआ, उसे भूल जाना चाहिए । जब एक दफा हम से ज्यादती हो गई तो मदों का काम है कि उस चीज पर पर्दा डाल दें। अपने दिल में कभी वैर नहीं रखना चाहिए। वैर रखना नामर्दो का काम है । एक आदमी बुरा है, इसलिए उसके ऊपर थप्पड़ लगाना बेवकूफों का काम है । उसका हाथ पकड़ कर उसे मुहब्बत से उठाना चाहिए। क्योंकि वह हमारा भाई है । और मुसलमान कहां के हुए ? इतने मुसलमान कहाँ से आए ? वे परदेश से आए थे क्या ? वे हमारी बेवकूफी ही तो से मुसलमान हुए थे। तो इस बारे में हमारा दोष तो है ही। वे मुसलमान इसलिए हुए कि हमने उनसे इस प्रकार का बर्ताव किया। आज भी क्या हम इस बात को समझे हैं ? आज भी क्या हमारे में से अस्पृश्यता गान्धी जी पुकार-पुकारकर कहते थे कि यदि सच्चा स्वराज्य आप लोगों को चाहिए, तो अस्पृश्यता को मिटा दीजिए । पहले हिन्दू और मुसलमानों को एक कर दो। अपनी आर्थिक स्थिति ठीक करनी हो, तो हम अपना कपड़ा आप बनाएँ । पहनने का जो कपड़ा हमारे गाँव में बने वही हम पहनें। गांव में क्या बनाएँ बेचारे ? गाँव में तो मिल का भी कपड़ा नहीं मिलता, घर का क्या बनाएँ ? और कहते हैं कि हमारे मुल्क में एक भाषा होनी चाहिए । अंग्रेजी- वंग्रेजी छोड़ देनी चाहिए । राष्ट्रभाषा एक होनी चाहिए। इन चार इमारतों पर हिन्दुस्तान का स्वराज्य बनाने की गान्धी जी ने कोशिश की और वह कोशिश