पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१५३

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भारतके भाचीन राजवा सत्रहों में विद्याधर-सन्दराहत नमामाई का मज़ाके साथ युद्ध-वर्णन, जाके द्वारा वादाझा भर जाना, उसकी जगह। रावत का राज्य भागकुमार रत्न देना और सुवर्ण-कमल क्र मगवती नगरीमें जाना वास हैं। | अाए सर---राजाकी नागरागसे मिलना, एटकेश्वर महादेव दर्शन करना, मृगका शापसे मुंद होकर पुरुषरूप होना और अपनी परमार श्रीहर्षदेरका द्वारपाल बताना, जिकिा शशि प्रमाके साये विवाह, नागराजा राणाको एक फर्टिकशिवलिङ्ग देगा, रामका अपने नग१) टन, उन्नार्थी महाकालेश्वरके दर्शन करना, धारी नगमें जाफर नागराजकें दिये हुए शिवलिङ्घक! स्थापन झरना, श्टिाधर आदि कों का ज्ञान और राजाका राज्य भार अपने हाथमें लेना वर्जित है ।। इस कथा सत्य और असत्यका निर्णय करना बहुत ही नि है। परन्तु जहाँ तक अनुमान किंया जा सकता है यह मागकन्या नाग वशी क्षत्रियोंकी कन्या थी । चे क्षत्रिंय पूर्व समयमें राजपूताना शीर मध्यभारत में रहते थे । यह घटना भी हु थाइ निकटकी प्रतीत होती है। इससे सम्वन्ध ररनेवाले विद्याधर, नाम र राक्षस आदि विंध्यपर्वतनिवासी क्षत्रिय तथा अन्य पहाड़ी लोग अनुमान किये जा झते हैं । नागनगरसे नागपुरका भी योघ । राकला है। साक्टर कूलर मतानुसार नवशJहसाङ्कयरतका रचना-काल १००५ Hदी और मजझ गद्दी पर बनेका समय १८१० ईसा है ।। बाल पाGइतने अपने भोजप्रवधमें लिंग है कि रिज़हे मरने समय मैन पाँच वर्षका या । इरा सिरानै अपने छोटे भाई मुझको राज्य बैङ्कर, मोजो इसी गाव रस या । परन्तु यई लेव किसी पार विश्वासयोग्य नहीं। क्योंॐि सिन्धुर न मुञ्च का ग भ६ प ।