पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१७१

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मारतके प्राचीन राजवंश परन्तु इसे लाका सम्बन्ध चेकै गाङ्गेयदेव और दायरे चालुक्य जुपसिंह पर प्राप्त की हुई मोजकी जीतसे हों तो कोई आश्चर्य नहीं। जयसिंह तिङ्गाने राजा था। उसी पर प्राप्त हुई जीतका चौघक होनेसे इस लोटा नाम “ गांगेय- तिगामी झाट' पढ़ा होगा जब जयसिंहने घाई पर चदाई की तर्न नालछा उसके मार्ग पहा होगा । सो दायद उसने इस यहाइके आस पास डेरे वाले होंगे । इस कारण इसका नाम विलिंगाना-ॐकरी पड़ गयी होगा । समयके प्रभावसे इस बिजया हाल और निति राजाका नाम आदि, सम्मत्र हैं, लोग भूल गये हाँ और इन नामक सम्बन्ध में कहावतें सुन कर नई था चना ली हो। इससे * कहाँ राजा मोज गौर ही गांगेय गौर नैढुंगरान" की कहाथत गंगगा लिन या गंगू तेलीको ढूंस दिया हो । गाड्या निदरसूचक या अपभष्ट्र नाम गाँगी, या गांली और तिलगानाका तैलन हो जाना असम्भब नहीं । कहावतें पहुवा किसी न किसी चातका भाषार जरूर रखती हैं। परन्तु हम यह पूर्ग निश्चयके साथ नहीं कह सकते किं तिलिंगानेॐ नमै नाका हुयी जाना इस लाटसे सुचित होता है। तयापि हम इतना अवश्य कह सकते हैं कि यह बात १०४२ सर्व पूरी हुई हो । यो उस समय गाङ्गेयदेवका उत्तराधिकारी के निासन पर बैग पो । पारा चारों तरफका कोट मीं भेना बनाया है। शताया जाता है । ऐसी प्रसिद्धि हे कि महू (मपइपर्ग) में भी भोजने को बनाया था और कई ? विद्यार्थियोंके लिए, मोबिन्दभट्टी अध्यक्षतामें, fiसाळ्य स्थापित किया गा । वह अब तक कुवे पर भोजका नाम हुदा हुभा है। भोजर्फी चुदाई हुई भोजपुरी झीलको पन्द्रहवीं शताब्दीमें माल हुदांगशाहने नष्ट कर दिया । भूपाळुई। रियासतमें इस फिी जमीन इस समय सबसे अधिक उपभाऊ गिनी जाती है । १२८