पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१९५

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भारतफ प्राचीन राजवंश एक ही दें। यदि एक ही हो तो वह परमार-वंशज हेनमें विप संदेह न रहेगा, क्योंकि इस वैशमें विइचा परम्परागत थी । | भाटी पुस्तक में लिया है कि जयवर्माने कुमारपाङको हुया, परत यह बात कल्पित माम होती है। क्योंकि उदयपुर (मार्जियर) में मिड़ीं हुई, वि० सं० ११२९ की, अजयपाठक प्रतिसे उस समय सक मालवे पर गुजरालाका अधिकार होना सिंद्ध है। | जयप निऊ राजा पा । इससे उसके समय उसके कुशुम्भमें झगडा पैदा हो गयी । फल यह हुआ कि उस समय मालवैके परमारराजाओं दो गम्विापें हो गई 1 जयवर्मके अन्त-समपा कुछ भी हाल मालूम नहीं । शायद वह गौसे उतार दिया गया हो । | यशोवर्मा पौंछेको वंशावलीमें बड़ी गढ़ है। पद्मपि जयवर्म, महाकुमार वर्मा, महाकुमार हरिश्चन्द्रवर्मा और महाकुमार उदयवम ताम्रपत्रेमियोंकि उत्तराधिकारीका नाम जयम लिया है, तथा अईनमक दो तान्नपत्रोंमें यशोवर्माके पीछे अर्जयमका नाम मिलता है। महाकुमार उषयमके ताम्रपत्रमें, जिसका हम ऊपर जिग्न कर चुके हैं, लिखा है कि परममट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर जयवर्माका अन्य अस्त होने पर, अपनी तलवारकें बल महाकुमार लवर्माने अपने राज्य स्थापना की । परन्तु यशोमके पौत्र ( दमक पुत्र) महाकुमार हरिश्चन्द्रवर्मन अपने दानपत्रमें जयवर्माकी फूपासे राज्य याहिं लिप्त है । इन नामों से अनुमान होता है कि शायद याबिके तीन पुन ६–जपवर्मा, अजमवर्मा और दमदम । इनमें से, जैसा कि हम ऊपर (लेख के हैं, यशोवर्माका उत्तराधिकारी जयबम हुआ । परन्तु T aastrecht Oatalogo, Catalugoron, VOL I, - 394, 11 ११) Ind. Ant, Yel, SI, PRA. १५६