पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२६८

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होन-वंश । मुजय गादशाहसे जा मिला। इहाँ पर इन दोनों में यह सन्धि हुई कि दुनुज्ञराय तुगलको जलमार्गस न माग्ने ६ ।। यह घटना १३८० ईसवी (विमी सवत् १३३७) के फरीन है। थी । इसलिए उस समय तक दृनुजरायझा जीवित होना और स्वतन्त्र न होना पाया जाता है। | हाकट्टर वाइजहा अनुमान है कि यह चालना पत्र य । पर Eराफी रूकमणसेनका पौत्र होना अर्थिक सम्भव है। यह विश्वरूपसेना पुन गी हो सकता है। परन्तु अब तक इस विषयका कोई निश्चित प्रमाण नहीं मिला। जनरल कनिड़हमिका उनुमान है कि यह भूरि ब्राह्मण था। परन्तु *पटफोही कारिकाओं और अबुलफजलकी आईने अकबरीमें इसको सनी लिखा है। अन्य राजा । की काकिसे पाया जाता है कि इजरायके पीछ रामवद्धभराय, गभराय, हरिवल्लभराय और नगदेबराय चन्द्वपके रजा हुए। जयदेमके 25 पुत्र न था। इसलिए उसका राज्य उसी कन्या पुन र दौहित्र ) को मिला है। समाप्ति । इस समय बङ्गालमें मुसलमानों का राज्य उत्तरोत्तर वृद्धि कर रहा यः । इस लिए विक्रमपुर नवी झावाला चन्द्रपा राज्य गर्यदेवरपके साथ ही अस्त हो गया। (१) Illuota itiatory, Vol Tr, p 11 (२) 5.9 A 5, 1674 ३३