पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२७८

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चौहान-वंश।
 
११-गूवक (द्वितीय)।

यह चन्द्रराज द्वितीयका|द्वितीय का पुत्र था और उसके पीछे गद्दीपर बैठा।

                        १२-चन्दनराज ।
 यह गूवक द्वितीयका पुत्र था और उसके पीछे उसके राज्य का स्वामी हुआ ।

पूर्वोंक हर्षनायके लैखसे पता चलता है कि इसने 'तँवरावती' ( देहलीके पास ) पर हमला कर वहॉके तेवरवंशी राजा रुद्रेणको मार ढाला ।

                       १३–वाक्पतिराज ।
 यह् चन्दनराजका पुत्र और उत्तराधिकारी था ।
 इसको चप्यराज भी कहते थे। इसने विन्ध्याचलतक अपने राज्यका विस्तार कर लिया था ।
 हुपैनाथके लैखसे पता चलता है कि तन्त्रपालने इसपर हमला किया था । परन्तु उसे हारकर भागना पडा। ययवि उक तन्त्रपालका पता नहीं लगता है, तथापि सम्भवतः यह कोई तेवर-वंशी होगा।
 वाक्पतिराजने पुष्करमें शायद एक मन्दिर बनवाया था ।

इसके बीन पुत्र थे-सिंहराज, लक्ष्मणराज और वत्सराज । इनमेंसे सिंहराज तो इसका उत्तराधिकारी हुआ और लक्ष्मणराजने नाडोल ( मारवाड़ ) में अपना अलंग ही राज्य स्थापित किया ।

                       १४–सिंहराज ।
 यह वाक्पतिराजका बडा पुत्र आरै उत्तराकिकारी था। यह राजा बड़ा वीर और दानी था 1 लवण नामक राजाकी सहायतासे *तैंत्ररोंने इस पर हमला किया। परन्तु उन्हें हारकर भागना पड़ा । इस राजाने वि० सं० १०१३ (ई० स० ९५६ } में हर्षनाथका मन्दिर
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