पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२८०

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चौहान-वंश । हुम्भर-महाफास्यमें लिंका है कि, विग्रहराजने थाई फर मूलराजको मार ड्राला । परन्तु यह बात सत्य प्रतीत नहीं होती ।। पृथ्वीराजरासेमें जो वसलदेबकी मुजरात के चालुकरायपरकी चढ़ाईका वर्णन है वह भी इसी हिज्जकी इस घद्वाईसे ही तात्पर्य रखती हैं। इसके समयङ्वा वि० सं० ११३८ । ई० स० ९७ ) का एक शिलाख हर्षनाथ मन्दिरसे मिला है। इसका वर्णन हम ऊपर कई जगह फर युके हैं। इससे भी प्रकट होता है कि यह बड़ा प्रताप शेजा था । १६-दुलेमराज (द्वितीय) ।। यह सिंहराजका पुत्र और अपने बड़े भाई विग्रहराज दिपक उत्तरराधिकारी था। १७–गोविन्दराज । | यह शायद सिंहाजका पुत्र और दुर्लभराजका छोटा भाई था और उसके पीछे राज्यका स्वामी हुआ । इसको गंदुरज भी कहते थे। १८-वाक्पतिराज (द्वितीय)। यह गोविन्दराजका पुत्र और उत्तराच्चिकारी थी। १९ वीर्यराम । यह धापतिजफा पुत्र झा और उसके पीछे शहर चै । इसने मालके प्रसिद्ध परमार राजा भोज पर चढ़ाई की थी। परंतु इसमें यह मारा पी। शायदं इसके समम सुलतान महमूद गजनीने गड बीटली (अजमेर) पर हमला किया था और जस्वमी होकर यहाँ जमे ६० स० १०२४ में अनहेलपाटेको लौटना पड़ा था। (१) राज-वजय, फ६ ५। ।