पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२९५

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मारतकै भान राजवंश इस रानका नाम महदवेब झा ! इन दरका मन्दिर चनाया थी, जो मर्छ। रानी मन्दिर नामसे मसिद्ध हैं । इस मन्दिहै सके तपाषाणके मद्दल भी रूठी रानी महल कहलाते हैं । इसने धड़ गय नित्यप्रमोदितदेंॐ मन्दिरके लिये भी कई त दिये ये । इस द्धिये थर मन्दिर भी सुट्टी रानी मन्दिर के नाम से प्रसिद्द है । पृथ्वीराने मुसल्लमानको म युद्धमें परास्त किया था और सीके लेमें एक भवन घनवाया था। यह वि सं १८५८ (६० स० १८:१ } में नष्ट कर दिया गया । इसके समयके चार लेग मिले हैं। पहला वि० सं० १२२४ । ३० स. ११६५६ ) की माघ शुकी ७ का है । दूध और वीर वि० सं० ११२२ (६० स० ११६८) का है तथा चौथा वि सं० १२२६ ( ६० स० ११६९) का हैं । इनमें वि० सं० १२२४ का लैम्ब फर्नल टॉड रावने भारत राज-प्रसाधे लाई हेस्टिग्जको भेट पा था । परन्तु अग इसका झुछ भी पता नहीं चलता । टौद्ध चाहने इसे शहाबुद्दीन गोरी छु सिद्ध चोहनराजा पृथ्वीरानो मान लिया था । परन्तु उस समय सेमेश्वरके पुत्र पृथ्वीर/जा होना बिलकुल असम्म ही है। इस मामाका नाम अर्ण लिजा मिळती हैं। ३६-सोमेश्वर । पृथ्वीराज-द्वितीयके बाद उसके मन्त्रियोंने सोमेश्वर इसका उत्तधिकारी बनाया। यह अपरानका तृतीय पुन और पृथ्वीराज द्वितीफा ११) घाडगचकै छी रानी माँ के स्तम्भर छदा है। { २) मंशा में हुईवेश्वर मन्दिर, दीनारपर छा है। (३) मैनालम भाव मटके एक सम्प दा ३ । ४८